हल्द्वानी:प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को गुरूवार को रूद्रपुर में विभिन्न योजनाओं का शुभारम्भ व जनसभा को सबोधित करना था। मौसम खराब होने की वजह से प्रधानमंत्री कार्यक्रम में शामिल नहीं हो पाये। फोन के माध्यम से जनसभा को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने जनता से क्षमा मांगते हुए कहा कि मैं उत्तराखण्ड तो पहुंचा लेकिन मौसम की खराबी की वजह से रूद्रपुर में आयोजित कार्यक्रम में नहीं पहुंच पाया। राज्य के विभिन्न हिस्सों से आये विशाल जनसमूह का उन्होंने इस कार्यक्रम में पहुंचने पर आभार व्यक्त किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि आज का दिन उत्तराखंड के किसानों के लिए बहुत बड़ा दिन है। आज उत्तराखंड के लिए राज्य समेकित सहाकिरता विकास योजना की शुरुआत हुई है। इस योजना से छोटे मंझोले किसानों और संबंधित क्षेत्रों से जुड़े कास्तकारों को सीधा फायदा पहुंचने वाला है। 3340 करोड़ रुपए की इस योजना से कृषि, बागवानी, दुग्ध उत्पादन, पशुपालन, मत्स्यपालन से जुड़े लोगों को नया आयाम मिला है। उत्तराखंड में पलायन और रोजगार बड़ी समस्याएं रही हैं। मैंने आपसे वादा किया था कि पहाड़ का पानी और पहाड़ की जवानी को पहाड़ के काम में लगाएंगे। मैं समझता हूँ ये योजना उस दिशा में सफल साबित होगी।
इस योजना के बाद राज्य के 55 हजार युवाओं को रोजगार से जुड़ने का मौका मिलेगा। करीब 50 लाख की आबादी को प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष तौर पर फायदा पहुंचेगा। अगर राज्य के संसाधनों का प्रयोग होगा तो युवा अपने घर पर रोजगार पा सकेंगे, उससे निश्चित रूप से पलायन पर रोक लग सकेगी। यानी बीज से लेकर बाजार तक की जिस व्यवस्था की बात हम करते हैं, वो आदर्श व्यवस्था इस योजना में लागू होगी। कास्तकारों को व्यवसाय शुरू करने या क्लस्टर खेती करने के लिए ऋण मिलेगा, उत्तम बीज मिलेगा, खाद मिलेगी। सहकारी समितियों के माध्यम से छोटी-छोटी जोत के किसानों के साथ ही बंजर भूमि पर क्लस्टर बनाकर सामूहिक खेती की जाएगी। सहकारी समितियां और मंडिया किसानों के उत्पादों की सीधी खरीद करेंगी। इस तरह योजना से जुड़े लोगों को उचित बाजार भी उपलब्ध हो सकेगा। मुझे खुशी है कि त्रिवेंद्र सरकार ने किसानों से पहली बार धान की ऑनलाइन खरीद की है जिससे पैसा सीधे किसानों के खाते में गया है।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने रूद्रपुर में 3340 करोड़ रूपये की समेकित सहकारी विकास परियोजना का शुभारम्भ किया। इस अवसर पर दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना का शुभारम्भ भी किया गया। नेशनल काॅपरेटिव डेवलपमेंट काॅर्पोरेशन के मैनेजिंग डायरेक्टर संदीप कुमार ने समेकित सहकारी विकास परियोजना की पहली किश्त का 100 करोड़ रूप्ये का चेक मुख्यमंत्री को सौंपा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना के तहत लघु एवं सीमान्त तथा गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले सहकारी सदस्यों तथा महिला स्वयं सहायता समूहों को ब्याज रहित ऋण भी वितरित किया। सितारगंज के गुरूबख्श सिंह, खिर्सू (पौडी)के हरिकिशन व मुन्स्यारी के जसवंत सिंह को एक-एक लाख रूपये का ब्याज रहित ऋण दिया गया, जबकि
शबनम व नई दिशा महिला स्वयं सहायता समूहों को 5-5 लाख रूपये का ब्याज रहित ऋण दिया गया।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योेजना के तहत प्रदेश के 02 लाख कृषको को 1100 करोड रूपये के अल्पकालीन/फसली ऋण वितरित करने का लक्ष्य रखा गया है। इस योजना से अधिक से अधिक महिला समूहो को भी लाभावन्वित किया जायेगा। इस परियोजना के अन्तर्गत लघु एवं सीमांत सहकारी सदस्यो को 01 लाख तथा स्वयं सहायता समूहो को ब्याजरहित ऋण दिया जायेगा। 2022 तक किसानो की आय दुगनी करने के प्रधानमंत्रीजी के लक्ष्य को साकार करने के लिए प्रदेश मे दीनदयाल उपाध्याय सहकारिता किसान कल्याण योजना शुरू की गई थी, इस योजना के तहत 01 लाख 62 हजार 750 लघु एवं सीमांत कृषको को 807 करोड का ऋण मात्र 02 प्रतिशत ब्याज पर उपलब्ध कराया गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मोदी जी ने हमेशा किसानों के हित को सबसे ऊपर रखा है। इसलिए पहली बार 22 फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में लागत से डेढ़ गुना बढ़ोतरी की है। किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए बीज से लेकर बाजार तक की आदर्श व्यवस्था लागू की है। किसानों की इनपुट कॉस्ट कम करने और उन्हें इनकम सपोर्ट देने के लिए 2 हेक्टेयर तक या उससे कम जमीन वाले किसानों को सालाना 6 हजार रुपए की निश्चित राशि देने की योजना शुरू की है। यह पैसा सीधे किसानों के खाते में जाएगा। मुझे यह बताते हुए हर्ष है कि उत्तराखंड के करीब 92 फीसदी किसान, प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना से लाभान्वित हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि केन्द्रीय जलायोग की तकनीकी सलाहकार समिति द्वारा जमरानी बाँध के सभी बिन्दुओं और तकनीकी पहलुओं की गहन जाँच के बाद जमरानी बाँध के निर्माण के लिए मंजूरी दे दी गयी है। 09 किलोमीटर लम्बे, 130 मीटर चैड़े और 485 मीटर ऊँचे इस बाँध के निर्माण से 14 मेगावाट विद्युत उत्पादन के साथ ही पेयजल व सिंचाई के लिए पानी भी उपलब्ध होगा। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि नैनीताल पेयजल योजना का भी तकनीकी सलाहकार समिति द्वारा अध्ययन कर लिया गया है। आशा है कि शीघ्र ही इस योजना के निर्माण के लिए केन्द्र सरकार द्वारा स्वीकृति प्राप्त हो जाएगी। उन्होंने कहा कि इस योजना के निर्माण से नैनी झील के जलस्तर को बनाए रखने में भी सहायता मिलेगी। नैनी झील के रखरखाव के लिए राज्य सरकार द्वारा पूर्व में भी 20 करोड़ रूपये जारी किए गए थे। 200 करोड़ लागत की मसूरी पेयजल योजना को केन्द्र से सैद्धान्तिक मंजूरी मिल गयी है। उन्होंने कहा कि मसूरी में ग्रीष्मकाल में पर्यटकों का आवागमन बढ़ जाने से पानी की समस्या बढ़ जाती है, इस योजना के धरातल पर उतरने के बाद मसूरी क्षेत्र के लोगों को पानी की समस्या से निजात मिल सकेगी। केन्द्र द्वारा सैद्धान्तिक स्वीकृति मिलने से इस योजना के निर्माण के लिए शीघ्र ही आगे की कार्यवाही शुरू की जाएगी।