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अबूझ पहेली


मेरे हाथों की
छोटी – बड़ी
पतली – चौड़ी
आढ़ी – टेढ़ी
सी इन
लकीरों में

कब से छुपा है
तू मेरी
तक़दीरों में

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बांचने वालों ने
बांचने की
कोशिशें हजार करी
उनके लिए
मै एक
अबूझ पहेली
ही रही

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