Editorial

आफरीन के प्रोगाम के खिलाफ अपील को मीडिया ने बना दिया फतवा


असम की 16 साल  की सिंगर नाहिद आफरीन को गाने को लेकर जारी किए फतवे की चर्चा आज मैनस्ट्रीम मीडिया में छाई रही है जिस पर असम के सीएम  सर्बानंद सोनोवाल से लेकर तस्लीमा नसरीन ने तक ट्वीट कर डाले। मामला असम के उदाली स्कूल है जहां 25 मार्च को  2015 की जूनियर इंडियन आईडल की उपविजेता आफरीन का गाने का कार्यक्रम था जिसे लेकर कुछ लोगों को आपत्ति थी. उन्हें लगता था शरिया कानून के ये ग़लत है।करीब 46 मुस्लिम लोगों के हस्ताक्षर वाला एक पर्चा इलाके में बांटा गया।जिसमें लोंगो से अपील की गई वे इस संगीत कार्यक्रम से दूर रहें क्योंकि जिस जगह  पर ये कार्यक्रम है वो मस्जिद, मदरसे और कब्रिस्तान से चारों तरफ घिरा हुआ हैं. ऐसी जगह पर गाना बजाना और सुनना शरिया क़ानून के ख़िलाफ़ हैं। पर इस अपील को मीडिया ने फतवा बताकर रिपोर्ट करना शुरु कर दिया जिस पर पूरे देश में राजनीतिक बयानबाजी शुरू हो गयी।खुद असम के सीएम ने ट्वीट कर उन्हें सुरक्षा देने की बात कही। जब इस मामले की रिपोर्ट शुरु हुई तो मामला कुछ अलग निकला डिज़िटल वेबसाइट स्क्रीन सभी बातचीत में जमीयत उलेमा के सचिव ने कहा फतवे की बात ग़लत है कुछ लोग एक अपील को ज़बरदस्ती फतवा बता रहे हैं. हमारे पूरे समाज को आफरीन पर गर्व है।मीडिया में फतवा आने के बाद लड़की को पूरे देश से अभूतपूर्व सर्मथन मिला। खुद नादिर आफरीन कहना है कि उन्हें ये खबर उनके पिता से मिला. उनके पिता को मीडिया वालों ये ख़बर दी। कुछ समय के लिए वो डर गयी थी उसे तो फतवे का मतलब भी नहीं पता। पुलिस ने पूरे मामले की जांच शुरु कर दी है.पर सवाल ये उठता है कि बिना सही से तथ्य जुटाए मीडिया ने एक अपील को जल्दबाजी में फतवा क्यों बता दिया? ऐसे संवेदनशील मामलों में बहुत गंभीर और संवेदनशीलता से रिपोर्ट्ंग की ज़रुरत होती है।

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