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आसाँ ये भी नही है


पहले हम
अपनों का कहा
करने को जीते थे

अब अपनों को
बनाये रखने को
जीते हैं

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आसाँ वो भी नही था
ये भी नही है

यहाँ तो सोने
की तरह
तपना है
हीरे के जैसे
कोयले से
ख़ुद को अलग करना है

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