नई दिल्ली- इस साल उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, मणिपुर और गोवा में होने वाले विधानसभा चुनाव पहले से काफी अलग होंगे। इन चुनावों के लिए चुनाव आयोग ने कई ऐसे कदम उठाने का फैसला किया जो इन चुनावों में पहली बार आजमाए जाएंगे। ये कदम देश के चुनावी इतिहास में मील के पत्थर साबित होंगे।
चुनाव आयोग ने किए ये 11 अहम बदलाव
1.) पहली बार पूरे राज्य में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम से डाले जाने वाले वोटों की रसीद यानी पेपर ट्रेल का हिसाब रहेगा। यह व्यवस्था उस सवाल का जवाब है कि ईवीएम का बटन दबाए जाने पर आवाज तो आती है, पर वोट डला या नहीं इसका पता नहीं चलता।अब मतदाता को वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी VVPAT की सुविधा होगी। इसमें वोट डालने के बाद एटीएम की तरह ईवीएम से भी कागज की पर्ची निकलेगी. यह पर्ची करीब 15 सेकेंड तक वोटर को दिखेगी और फिर मशीन के अंदर बने कंपार्टमेंट में गिर जाएगी।
2.) चुनाव आयोग प्रत्येक मतदाता के घर तक वोटरों की फोटो युक्त मतदान पर्ची पहुंचाएगा. इस बार वह पर्ची सिर्फ पर्ची नहीं, बल्कि वोटरों का पहचान पत्र भी रहेगा। ए-4 साइज के कागज के आधे हिस्से पर छपी इस पर्ची पर वोटरों की तस्वीर के साथ तमाम जानकारी होंगी। इसके अलावा इस पर्ची पर एक बार कोड भी होगा तथा पर्ची के पीछे गूगल मैप के जरिये बूथ तक पहुंचाने का रास्ता भी बताया गया होगा। इसके साथ ही इसमें यह भी हिदायत होगी कि वोटिंग के लिए क्या-क्या साथ लाना या करना जरूरी है।
3.) मतदाता पर्ची के साथ हर घर में रंगीन ब्रोशर यानी पुस्तिका `वोटर गाइड` भी पहुंचाई जाएगी। हिन्दी, अंग्रेजी सहित स्थानीय भाषाओं में प्रकाशित इस पुस्तिका में मतदान की तारीख, समय और चित्रों के जरिये मतदाता सूची में नाम डलवाने से लेकर वोट डालने तक की प्रक्रिया और मतदाता के अधिकारों की बातें समझाई गई हैं।
4.) पहली बार हर बूथ पर मतदाता सुविधा काउंटर भी खोला जाएगा. इसमें मौजूद अधिकारी वोटरों को उसके बूथ, वोटर लिस्ट में उसके नाम के बारे में बताएंगे. इसके अलावा बूथ के आसपास समुचित साइन बोर्ड भी लगे होंगे।
5.) मतदान केंद्र पर न्यूनतम बुनियादी सुविधाएं होनी लाजिमी हैं।मसलन पीने का पानी, समुचित रोशनी, शौचालय, दिव्यांगों के लिए रैंप, वोटिंग कंपार्टमेंट वगैरह।
6.) इन पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में पहली बार वोटिंग मशीन के चारों ओर स्टील ग्रे रंग के फ्लेक्स जैसे प्लास्टिक शीट का बना 30 इंच ऊंचा वोटिंग कंपार्टमेंट होगा। इसे उस टेबल पर चारों ओर लगाया जाएगा, जहां ईवीएम रहेगी. पहले ये 12 से 18 इंच ऊंचाई का फटा पुराना गत्ता होता था। ऐसे में मतदाता के सिर और आंखों से ये पता चल जाता था कि वोट किसे दिया गया है. इसी वजह से मतदान की गोपनीयता बनाए रखने के लिहाज से इस बार ऐसा किया जा रहा है।
7.) मतदान केंद्र पर पहली बार चुनाव प्रक्रिया नियम 1961 के नियम 31 के तहत मतदाता को दी जा रही सुविधाओं और उनमें जागरूकता बढ़ाना वाला पोस्टर लगाया जाएगा। ऐसे चार पोस्टर हर मतदान केंद्र पर लगेंगे. जिन इलाकों में महिला वोटरों की तादाद ज्यादा है, वहां उनके लिए अलग से एक बूथ बनाया जाएगा. इस बूथ पर चुनाव अधिकारी से लेकर चुनाव एजेंट तक महिलाएं ही होंगी।
8.) अंध विद्यालयों में बनाए गए मतदान केंद्रों में दृष्टिहीनों के लिए खास सुविधाएं होंगी. दृष्टिहीन मतदान अधिकारियों को ऐसे ही बूथों पर तैनात किया जाएगा, ताकि वोटर और मतदान अधिकारियों को दूर नहीं जाना पड़े।
9.) इन पांच विधानसभा चुनावों से चुनाव आयोग पहली बार सेना, अर्धसैनिक बलों के लिए इलेक्ट्रोनिक्ली ट्रांसमिटेड पोस्टर बैलेट सिस्टम यानी ETPBS का इंतजाम करने जा रहा है. इसका पायलट ट्रायल हो चुका है।
10.) दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद पहली बार उम्मीदवार के लिए नो डिमांड सर्टिफिकेट का अतिरिक्त हलफनामा भी नामांकन पर्चों के साथ दाखिल करना लाजिमी होगा। यानी बिजली, पानी, टेलीफोन, संपत्ति कर, जैसे नागरिक सेवाओं वाली एजेंसियों के यहां कोई बकाया नहीं है, इसका सर्टिफिकेट हासिल कर जमा करना होगा।
11.) कानून मंत्रालय की अधिसूचना के बाद पहली बार नए प्रारूप वाले नामांकन पत्र पर उम्मीदवार अपना नॉमिनेशन फाइल करेंगे. उम्मीदवार इन नए प्रारूप वाले फॉर्म और हलफनामों की ई-फाइलिंग भी कर सकेगा।