खटीमा:उत्तराखंड में एक तरफ त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार अपनी ताजपोशी के सौ दिन पूरे होने पर जश्न मना रही है. वहीं दूसरी तरफ किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं. दस दिन के भीतर राज्य में एक और किसान की आत्महत्या करने की ख़बर है. उधमसिंह नगर जिले के खटीमा इलाके में कर्ज में डूबे एक किसान ने परेशान होकर मौत को गले लगा दिया. खटीमा के हल्दी पचपेड़ा गांव में राम अवतार नाम के किसान ने रविवार देर रात पंखे के कुंडे से लटककर खुदकुशी कर ली. बैंक का कर्ज ना दे पाने के कारण वह काफी दिनों से तनाव में था.
किसान को मिला था नोटिस
जानकारी के मुताबिक कुछ दिन पहले ही बैंक से किसान को लोन न देने के कारण नोटिस आया था. नोटिस के बाद से ही राम अवतार परेशान चल रहा था. इसके बाद उसने ये कदम उठा लिया. राम अवतार पर बैंक ऑफ बड़ौदा की शाखा नानकमत्ता का 1.75 लाख और एसबीआई खटीमा शाखा का 1.97 लाख रुपये का कर्ज था. राम अवतार के पास केवल ढाई एकड़ ज़मीन है, जिससे उसके दस सदस्यों के परिवार की आजीविका चलती है.पुलिस प्रशासन ने शव को कब्जे में लेते हुए पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. हालांकि पुलिस पूरे मामले की जांच में जुट गई है. वहीं जिले के एडिशनल एसपी देवेंद्र पींचा का कहना है कि मामला घरेलू कलह का लग रहा है. हम मामले की जांच कर रहे हैं.
10 दिन पहले भी हुई थी खुदकुशी
राज्य में पिथौरागढ़ ज़िले की बेरीनाग तहसील के पुरानाथल गांव के सरतोला तोक निवासी सुरेंद्र सिंह पुत्र राम सिंह ने 15 जून की रात जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या कर ली थी. किसान पर साधन सहकारी समिति और ग्रामीण बैंक का कर्ज था.
कृषि बजट में हुई कटौती
प्रदेश में किसानों की हालत खस्ता होने के बावजूद राज्य सरकार ने कृषि बजट में कटौती कर दी. हाल ही में जारी बजट में सरकार ने वित्तीय 2017-18 के कृषि बजट में कटौती कर 30971.46 करोड़ का प्रावधान रखा है, जबकि 2016-17 में कृषि बजट 37476.89 करोड़ रुपये था. ये पिछले बजट की तुलना में इस बार करीब 17 फीसद कम है.
वित्त मंत्री प्रकाश पंत की ओर से हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार प्रदेश के 699094 किसानों पर 1096 करोड़ रुपये का कर्ज है. कर्ज में डूबे किसानों को उम्मीद थी कि राज्य में भाजपा सरकार बनते ही उनका कर्ज माफ हो जाएगा.
भारी बहुमत से सत्ता में आने वाली त्रिवेंद्र सरकार के 100 दिन पूरे हो गए हैं, लेकिन अभी तक राज्य सरकार की ओर से इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है. किसान कर्ज माफी के लिए राज्य सरकार पर दबाव भी बना रहे हैं, लेकिन अभी तक राज्य सरकार की ओर से उम्मीद की किरण नहीं दिखाई दे रही है.
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