हल्द्वानी- उत्तराखण्ड के महान राजनेता और पूर्व मुख्यमंत्री एनडी तिवारी के लिए अपने द्वारा खड़ा किया डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय की हालात ने उन्हें रुला दिया। कुमाऊं के सबसे बड़े अस्पतालों में से एकअस्पताल की सेंट्रल कैंटीन के पास मौजूद गंदगी ने एनडी तिवारी की आंखों में आसू ला दिए। तिवारी के काम के दौरान डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय उनका ड्रीम प्रोजक्ट था और उसकी ये हालात होगी ये तिवारी जी ने शायद सोचा नही था। नए साल अवसर पर अस्पताल पहुंचे तिवारी जी की आंखों में आंसू देखकर अस्पताल प्रशासन भी सकते में आ गया।
बता दे कि एनडी को दोपहर एक बजे व्हील चेयर से अस्पताल के अंदर लाया गया। अपनी पत्नी डॉ. सुशीला तिवारी की मूर्ति को देखने के बाद वह रेडियोलॉजी विभाग में मशीनों की स्थिति जानने पहुंचे। पुत्र रोहित शेखर व पत्नी उज्ज्वला तिवारी भी चिकित्सा अधीक्षक डॉ. एके पांडेय से सवाल करने लगीं। पूरे दो घंटे के निरीक्षण के दौरान एनडी पहली बार गायनी विभाग के बाहर और दो बार सेंट्रल कैंटीन में रोए। अस्पताल की समस्याओं को सुनकर कहने लगे, मेरी पत्नी सुशीला तिवारी का नाम क्यों बदनाम कर रहे हैं। निरीक्षण के दौरान कई बार एमएस व रोहित उलझ गए।रेडियोलॉजी विभाग में ही रोहित, एनडी के दाहिने कान पर झुक कर जोर-जोर से कहने लगे। ‘पिताजी देखो, 14 महीने पहले आपने और मैंने 18 घंटे मौन व्रत रखा था। सीएम हरीश रावत ने फोन से सभी समस्याओं के समाधान का आश्वासन दिया था, लेकिन अभी तक कुछ नहीं हुआ।’ एनडी बोले, ‘तीन महीने का और समय मिलना चाहिए।’
बता दे कि पिछले कुछ सालों में एसटीएच अस्पताल का नाम खराब हुआ है। पूर्ण इलाज ना मिलना और गंदगी ने मरीजों को प्राइवेट अस्पताल जाने के लिए मजबूर किया है। डॉक्टर्स का व्यवहार भी सवालों के घेरे में रहा है। अब जिस व्यक्ति ने इस अस्पताल को खड़ा करने में अपनी पूरी जान लगा दी उसके सामने अगर ऐसी तस्वीर आएगी तो उनका भावुक होना लाजमी है।
न्यूज सोर्स- दैनिक जागरण