नई दिल्ली: क्रिकेट के मैदान पर मैच कई खेले जाते है लेकिन कुछ ही ऐसे खिलाड़ी होते है जिन्होंने चोटिल होने के बाद मैदान पर शानदार प्रदर्शन किया हो। चोटिल खिलाड़ी जब मैदान नहीं छोड़ता है तो वो खेल में अपना नाम एक विषेश पन्ने पर दर्ज करा लेता हैं। भारतीय क्रिकेट की बात करें तो आपने अनिल कुंबले को टूटे हुए जबड़े के साथ गेंदबाजी करने वाले मैच के बारे में सुना होगा। अनिल कुंबले ने 2002 के एंटिगुआ टेस्ट में घायल होने के बाद भी गेंदबाजी की थी जिसे भारतीय प्रशंसक हमेशा याद करते हैं।
इस लिस्ट में अब उत्तराखण्ड के उन्मुक्त चंद का नाम भी जुड़ गया है। उन्होंने जबड़ा टूटने के बाद मैच में उतरने का फैसला किया और शानदार शतक ठोक डाला। चंद की इस पारी के बाद उनकी वाहवाही हो रही है। उनके इस कदम से दिखाई देता है कि वो खेल के प्रति कितने समर्पित हैं।
घटना विजय हजारे ट्रॉफी की है। अभ्यास के दौरान भारतीय अंडर-19 टीम को 2012 में विश्वकप दिलाने वाले पूर्व कप्तान उन्मुक्त चंद घायल हो गए । उनका जबड़ा टूट गया। उन्होंने इसके बाद भी उत्तर प्रदेश के खिलाफ मैच में उतरने का फैसला किया। दिल्ली के इस बल्लेबाज़ ने टूटे हुए जबड़े के बावजूद विजय हजारे ट्रॉफी में उत्तर प्रदेश के खिलाफ 125 गेंदों में 116 रन बनाकर एक बार अंडर-19 विश्वकप 2012 के फाइनल की यादें ताज़ा कर दी।
उनकी इस पारी के बदौलत दिल्ली ने यूपी के समक्ष 308 रन का लक्ष्य रखा, जवाब में यूपी की पूरी टीम 252 रन ऑलआउट हो गयी। इस तरह दिल्ली ने मुकाबला 55 रन से मुकाबला अपने नाम कर लिया। चंद लम्बे समय से दिल्ली की टीम से बाहर चल रहे थे। लेकिन उन्होंने जिस अंदाज में वापसी की है वह शानदार है। उन्होंने अपनी बल्लेबाजी आलोचको का मुंह बंद कर दिया। उन्होंने साबित किया कि उनके पास अभी भी वो काबियत है जो उन्हें भारतीय टीम में जगह दिला सकती है। भारतीय क्रिकेट ने एक बार फिर क्रिकेट के मैदान पर पहाड़ी ताकत देखी।