हल्द्वानी: हर माता-पिता का सपना होता है कि उसके बच्चे तरक्की करें लेकिन कई बार यह सपने पूरे नहीं हो पाते जब बच्चा बचपन से तुतलाने लगता है व्यंग्य समस्या आगे चलकर परेशानी का कारण बन जाती है। इस संबंध में हमने संस्कार रिहैबिलिटेशन सेंटर मालती देवी कॉन्प्लेक्स मुखानी के श्रवण एवं वाचा रोग विशेषज्ञ डॉक्टर बिजय कुमार से बातचीत की तो उन्होंने बताया की तुतलाना एक बुरी आदत एवं मानसिक समस्या भी है, इसमें बच्चा शब्दों का उच्चारण गलत करता है इस संबंध में उन्होंने कई जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि डॉक्टर साहब क्या तुतलाने की बीमारी वैसे तो यह समस्या लगभग हर एक बच्चे में होती है जैसे बचपन में बच्चा कबूतर को तबूतल तथा काका को ताता कह के बुलाता है लेकिन उम्र बढ़ने पर यह समस्या अपने आप ठीक हो जाती है। डॉक्टर कुमार ने बताया कि कई बार होता है बड़ा होने के बावजूद तुतलाने की समस्या ठीक नहीं होती, कई बार उसका मुख्य कारण उम्र बढ़ने के बावजूद माता पिता बच्चे पर ध्यान नहीं दे पाते एवं बच्चे की तरह ही तुतला के बोलते हैं एवं बच्चे का उच्चारण सही नहीं करते जिसके कारण आगे चलकर परेशानी का सामना करना पड़ता है।
डॉक्टर डॉक्टर बिजय कुमार ने बताया कि अक्सर देखा जाता है कि बहुत प्रयास के बावजूद बच्चा बड़ा होने के बाद भी तुतलाता है जिसके कारण अक्सर वो हीन भावना का शिकार हो जाता है एवं उसके दिमाग में यह बात घर कर जाती है कि लोग उसका मजाक उड़ाएंगे जिसके कारण उसका सर्वांगीण विकास रुक जाता है एवं कई बार तो मानसिक रोग का शिकार हो जाता है।ऐसे व्यक्ति का खास तौर पर घर पर या रिश्तेदारों द्वारा बिल्कुल मजाक नहीं बनाना चाहिए तथा समाज एवं स्कूल के सहपाठियों का भी पूर्ण सहयोग मिलना चाहिए जिससे कि वह हीन भावना का शिकार ना हो।अगर माता पिता को यह लगता है कि बच्चा इस समस्या से ग्रसित है तो इसमें बच्चे की जीभ का परीक्षण होता है ऐसे में बच्चे की जीभ का छोटा, बड़ा या जीभ के नीचे का भाग जिसे तुतुवां कहते हैं उसे माइनर से ऑपरेशन से ठीक कर दिया जाता है।
डॉक्टर डॉक्टर बिजय कुमार ने बताया कि सहायक अंगों का सामान्य होना अति आवश्यक है यदि सहायक अंगों के सामान्य होने पर भी यदि बच्चा यह व्यक्ति तुतुलाता है तो वह केवल स्पीच थेरेपी से ही ठीक किया जा सकता है जिसके लिए कुशल श्रवण एवं वाचा रोग विशेषज्ञ से सही सलाह लेकर उपचार कराना चाहिए।