हल्द्वानी:भारतीय सेना में नौकरी असली माइने में देश की सबसे बड़ी ड्यूटी है। सेना में भर्ती होने वाला शख्स पीढ़ी के लिए एक उदाहारण पेश करता है। ये एक बार नहीं कई बार हुआ है। IMA पासिंग परेड में भारत को 487 कैडेट पासआउट होकर अफसर बने। उत्तराखण्ड के दो युवाओं का आर्मी में अफसर बनने का सफर एक प्रेरणा बन सामने आया है। लोहाघाट के दिवान सिंह और चौखुटिया खुशाल नेगी ने पिता के शहीद होने के बाद भी सेना में असफर बनने को जिंदगी का लक्ष्य बना लिया। आज उत्तराखण्ड के दोनों लाल युवाओं के लिए उदाहरण बन गए है।
लोहाघाट के दिवान सिंह के पिता स्व. श्याम सिंह भी सेना में रहते हुए 1991 में सियाचीन में शहीद हुए थे। छोटी सी उम्र में पिता के खोने के बाद उससे उभरना और फिर सेना के अफसर तक का सफर तय करना दिवान के लिए बेहद खास रहा है। दिवान की कामयाबी के बाद पैतृक बाराकोट विकास खंड के चौमेल गांव में खुशी की लहर दौड़ रही है। दीवान सिंह का परिवार वर्तमान में देहरादून में रहता है। उनके लेफ्टिनेंट बनने पर पैतृक गांव चौमेले चामी में लोगों ने एक दूसरे को मिठाई वितरित कर खुशी मनाई। दिवान के ताऊ डीएस बिष्ट ने बताया कि दिवान के पिता श्याम को बचपन से सेना में भर्ती होने का जूनून सवार था। इसके लिए उन्होंने 6 साल की उम्र में गांव छोड़ दिया। उन्होंने बताया कि दिवान अपने पिता के रास्ते पर चला और आज पूरे गांव संग राज्य को दिवान पर गर्व है।
चौखुटिया के शहीद उत्तम सिंह नेगी के पुत्र खुशाल सिंह नेगी भारतीय सेना में अफसर बनने पर उनके गांव अमस्यारी में खुशी की लहर है। खुशाल ने भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड के अंतिम पग को पार करते हुए सेना में अफसर बन क्षेत्र का नाम रोशन किया है। अपने पिता की शहादत के समय खुशाल सिर्फ तीन माह का था। उत्तम सिंह 1996 को शहीद हुए थे। खुशाल की माता पदमा देवी ने उन्हें कठिन परिस्थितियों में उनका पालन पोषण कर सैन्य अफसर बनने का साहस दिया। खुशाल ने इंटर तक की शिक्षा सैनिक स्कूल घोड़ाखाल से प्राप्त की है। खुशाल के ताऊ हर्ष सिंह एंव बलवंत सिंह, कुंवर सिंह, राजेश नेगी सहित तमाम ग्रामीणों ने उनकी उपलब्धि पर खुशी जताई है। माता पदमा देवी ने कहा कि उनके लिए यह एक बड़े सपने का सच होने जैसा है। उन्होंने पति की शहादत से प्रेरणा लेकर बेटे को राष्ट्र सेवा में भेजने का बड़ा साहसिक कदम उठाया।
बता दे कि इस बार IMA परेड में 409 भारतीय और 78 विदेशी कैडेट शामिल थे। ये विदेशी कैडेट मित्र राष्ट्रों से थे। इसमें अफगानिस्तान से 46, भूटान से 15, कजाकिस्तान से 5, मालदीव 6, नेपाल से 2, श्रीलंका से 2, तजाकिस्तान से 2 कैडेट आईएमए से पास हाेकर अपने देशों में सैन्य अफसर बने।