भवाली:नीरज जोशी: उत्तराखण्ड को देवो की नगरी के नाम से पूरे भारत मे जाना जाता है। कहा जाता है व्यक्ति कही भी रहे उसे अपने ईस्ट से मिलने अपने पैतृक गाँव आना ही होता है। ऐसे ही गोल्ज्यू देवता को भी कई लोग ईस्ट देवता के रूप में पूजते है । गोल्ज्यू देवता न्याय के देवता है। कोई भी भक्त अपनी फरियाद लेकर उनकी शरण में जाता है वो उसकी फरियाद पूरी करते है और जो भक्त उनकी शरण में किसी कारण नहीं आ सकता वो अर्जी लगाकर गोलू देवता तक अपनी फरियाद भिजवाता है। कहा जाता है गोलू देवता को उनके पिता झालुराई गोरईया कहकर बुलाते थे, सबकी फरियाद पूरी करने के कारण उन्हें गोल्ज्यू कहा जाता है। कहा जाता है गोल्ज्यू दूधा धारी थे इसलिए उन्हें दूध से बनी खीर का भोग लगाया जाता है।
रविवार को घोड़ाखाल में गोल्ज्यू मंदिर में हर साल की तरह इस बार भी खीर का भोग लगाकर भक्तो को प्रसाद दिया गया। हजारो भक्तों ने आकर खीर का प्रसाद ग्रहण किया। साथ ही माता के भजनो से मंदिर गुंजायमान हो उठा। गोल्ज्यू मंदिर पुजारी रमेश जोशी ने कहा की हर साल की तरह इस बार भी गोलू देवता को भोग लगाकर भक्तों को प्रसाद दिया गया। हर बार भक्तो की संख्या बढ़ने से यही प्रतीत होता है की गोल्ज्यू का आशिर्वाद सभी भक्तों पर बना है और हमेशा बना रहे। उन्होंने बताया साम को सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के बच्चो को भो प्रसाद दिया जाता है जिससे गोल्ज्यू का आशिर्वाद हर बच्चे पर भी बना रहे।