चम्पावत। एक तरफ हमारे राज्य में सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है। दूसरी ओर सरकारी अस्पताल के डॉक्टरों का अपनी क्लीनिक चलाने या प्राइवेट अस्पताल में भी काम करने पर ज्यादा ज़ोर देते है। आब बात ये उठती है कि क्या गरीबों का दुख पैसों के सामने छोटा है? क्या उन्हें बिमारी से तकलीफ नही होती? तो फिर समाज के सबसे बड़े कद में बैठे ये डॉक्टर पैसों के लिए क्यों भेदभाव करते है? डॉक्टरों की लालच का विरोध प्रशासन को झेलने पड़ता है। प्रदेश के स्वास्थ्य ढांचे को सही करने के लिए स्वास्थ्य प्रशासन ने कानूनी डंडा उठा लिया है। शनिवार को विधायक हेमेश खर्कवाल और डीएम डॉ.अहमद इकबाल जब जिला अस्पताल पहुंचे तो उन्हें डॉक्टर की गायब दिखे। डीएम डॉ.अहमद इकबाल ने उसके बाद उपजिलाअधिकारियों को सरकारी अस्पतालों में जांच के निर्देश दिए। जांच के दौरान सरकारी अस्पताल के दो डॉक्टर निजी अस्पताल में पाए गए। डीएम ने तुंरत एक्शन लेते हुए दोनो की सैलरी रोक दी है और कार्रवाई करने के आदेश दिए है।
दरअसल जब डीएम डॉ.अहमद इकबाल ने जिला अस्पताल पहुंचकर ड्यूटी रजिस्टर चैक किया तो उन्हें कई डॉक्टर्स का नाम गायब दिखा। इसके साथ ही का उन्हें डॉक्टरों के समय से अस्पताल ना पहुंचने की खबर मिली। इसी पर एक्शन लेते हुअ उन्होंने उपजिलाअधिकारियों को अपने इलाकों में जांच के निर्देश दिए। निरक्षण के दौरान चल्थी में तैनात डॉ. सुरेश कश्यब और अमोड़ी के डॉ.जेबी चन्द टनकपुर में के निजी अस्पताल में मौजूद थे।