आजकल बहुत
नाफर्माने हो गए है , हम
ना सोने ना जागने का
ना खाने- नहाने का
कोई वक्त
जिन बलाओ से
अब तक बचे थे
वही सारी हरकतें
करने लगे हैं , हम
आख़िर किस-किस की सुने
किस-किस की माने
दिल की दिमाग की ?
या वक्त या तक़दीर की ?
हर किसी की
रग-रग से वाकिफ हैं !
सो कह लीजिए साहब !
अब तो ” चिकना घड़ा ”
हो गए हैं, हम !!!!!!!