दे दी है इजाजत आँखों को
बेपनाह बरसने की
यूं कि – वह जाएँ तुम्हारी
झूठी मजबूरियों ,नादानियों के
स्याह बनावटी धब्बे
मेरे दिल के आस -पास
गुजरने से पहले |
फीकी पड़ न जाये
मेरे तन की रंगत
चेहरे की चमक और
लचक लहजे की |
बहुत डरती हूँ
उनकी बददुआओं से
जिनके दिलों में
मैं , बसा करती हूँ |