भवाली: राज्य सरकार के भीमताल और भवाली पालिका में 10 ग्राम पंचायतों को शामिल करने के फैसला विरोध शुरू हो गया है। उन्होंने कहा कि पीढ़ियों से हम गांवो में रहते हुए आ रहे हैं। जब गांव की बात भी कही हो तो गांव की मिट्टी की खूशबू आ ही जाती है। सरकार हल्द्वानी जैसे नगर को स्वच्छ रखने में नाकाम रहा है तो कैसे हमारे गांव का ख्याल रखेगा। ग्रामीणों के अनुसार राज्य सरकार ने अगर ये फैसला जल्द वापस नहीं लिया तो वह बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे, जिसकी जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी। ग्राम लवेशाल में हुई बैठक के दौरान लोगो का गुस्सा देखने लायक था । जिस पर गांव वालों को जनप्रतिनिधियों का भी सहयोग मिलने लगा है। ये वो ग्रामीण है जो पंचायत में अपनी बात रखने दूर दूर से आये थे। पालिका में शामिल होने का यह ना सिर्फ विरोध कर रहे है बल्कि सरकार के खिलाफ मोर्चा भी खोल रहे है। ल्वेशाल गांम पंचायत में हुई इस बैठक के दौरान पूरे गांव के लोगों ने पालिका में जाने से इंकार कर दिया है। तो पंचायत में गुहार भी लगाई है। कि वो इस लड़ाई को आगे बढाएं। पिछले कई दिनों से अलग अलग ग्राम पंचायतों में बैठक कर रहे इन ग्रामीणों ने अब जनजागरुता अभियान भी तेज कर दिया है। सरकारी फरमान का विरोध में जुटे गांव के लोग रैली निकालकर सरकार के इस निर्णय पर सवाल खड़े करने लगे है तो गरीबी का हवाला देकर टैक्स कैसे भरने का भी सवाल खड़े कर रहे हैं।
https://youtu.be/SKIdNRNy9N4
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने भवाली और भीमताल के 10 गांवों को पूर्ण और आंशिक रुप से पालिका और नगर पंचायत में शामिल करने का निर्णय लिया। कभी हस्ताक्षर तो कभी धरना देकर गांव के लोगों ने विरोध करना चाहा तो सरकार अपने निर्णय पर अडिग बनी रही। ग्रामीण इस बात से भी खफा रहे की उनसे सरकार ने आपत्तियां तक नहीं सुनी। सरकार के इन निर्णय पर गांव के लोग सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे है तो जनप्रतिनिधि गांव के लोगों के साथ ना सिर्फ लड़ाई लडने का फैसला कर रहे है। बल्कि गांव के लोगों की इस लड़ाई को कोर्ट तक ले जाने की वकालत कर रहे है। बहरहाल पालिका के पास ना तो संसाधन है।ना ही सफाई कर्मचारी,और पालिका का बजट भी इतना कम है कि वेतन के लाले तक पड़ जाते है, हालाकि पालिका विस्तार कर राज्य सरकार राजस्व बढ़ाने का प्रयास कर रही है। तो ग्रामीणों ने आर पार की जंग सरकार के खिलाफ शुरु कर दी है। देखने वाली बात ये होगी कि ग्रामीणों के इस विरोध में सरकार किस हद तक झुक पाती है। अ