हल्द्वानी: एक तरफ सरकार राज्य में क्रिकेट को बढ़ावा देने की ओर जोर दे रही है लेकिन शिक्षा विभाग कुछ और कर रहा है।कहावत है कि प्रतिभा को आगे लाने के लिए पैसा कम नहीं पड़ना चाहिए, लेकिन शिक्षा विभाग ने जिले की अंडर-14 क्रिकेट टीम को राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में नहीं भेजने का कारण पैसा ना होना बताया है। जब सवाल उठने लगे तो खिलाड़ियों का प्रदर्शन प्रतियोगिता में भाग लेने लायक ना होना कह दिया गया।
KUMKUM BHAGYA: MUNNI की गलती प्रज्ञा पर पड़ गई भारी
मामला नैनीताल अंडर-14 क्रिकेट टीम को चमोली में होनी वाली राज्य स्तरीय विद्यालयी प्रतियोगिता का है। जहां टीम का चयन करने के बाद उसे खेलने नहीं भेजा गया। शायद शिक्षा विभाग को खिलाड़ियों की मेहनत और उनके सपने की बिल्कुल भी फिक्र नहीं अगर ऐसा होता तो खिलाड़ी मैदान पर होते। शिक्षा विभाग की लापरवाही के कारण युवा खिलाडियों का राष्ट्रीय खेल में शामिल होने का सपना टूट गया | इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है की शिक्षा विभाग के अधिकारी खेल और खिलाडियों के प्रति कितने संजीदा हैं |
ISHQBAAZ: रिकारा और शिविका का सम्बन्ध एक बार फिर टूटने की कगार पै || SHIVIKA AND RIKARA LOVE FIGHT
एक और जहाँ प्रदेश में खेल और शिक्षा मंत्री अरविन्द पांडेय नयी प्रतिभाओं को तलाशने के लिए खेल महाकुम्भ का आयोजन करवा रहे हैं वही उनके विभाग के अधिकारी खिलाडियों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं | जिले के मुख्य शिक्षा अधिकारी के.के. गुप्ता ने कहा की चुने गए खिलाडियों में से कोई भी नेशनल खेलने लायक नहीं था। यदि ऐसा था तो खिलाडियों का टीम में चयन ही क्यों किया गया ?
इस फैसले के बाद टीम में शामिल खिलाड़ी मायूस हो गए है। उनका मनोबल भी टूटा होगा। वहीं यह फैसला उन अभिभावकों के उम्मीदों पर पानी फेरता है जो अपने बच्चों को बड़े स्तर में खेलते देखना चाहते है। नैनीताल के अलावा बागेश्वर , पिथौरागढ़, अल्मोड़ा और ऊधमसिंह नगर की टीमें भी प्रतियोगिता में बजट ना होने के कारण भाग नहीं ले रही है। शिक्षा विभाग के फैसले ने दिखाया कि वह खिलाड़ियों के भविष्य को लेकर कितना गंभीर है? और शायद यही कारण है कि राज्य के अधिकतर युवाओं को क्रिकेट में पहचान बनाने के लिए दूसरे राज्य की ओर रुख करना पड़ता है।
न्यूज़ सोर्स-हिन्दुस्तान