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पहाड़ के मनीष पांडे को देवभूमि का आर्शीवाद, कोई नहीं तोड़ पाएगा ये रिकॉर्ड


नई दिल्ली:23 मार्च: 2018

मौजूदा वक्त में विश्वक्रिकेट पर भारतीय क्रिकेट टीम का दबदबा है। भारतीय टीम ने पिछले एक दशक से अपने कर्म से भारतीय झंड़े को क्रिकेट के मैदान पर सर्वोच्च स्थान दिलाया है। पिछले कुछ सालों में भारतीय टीम में आए नए चहरों ने शानदार प्रदर्शन किया है। आईपीएल को भारतीय क्रिकेट की संजीवनी के रूप से देखा जाता है। आईपीएल ने भारत को रोहित शर्मा, जसप्रीत बुमराह ,हार्थिक पांड्या और मनीष पांडे जैसे खिलाड़ी दिए। इन सभी ने भारतीय टीम को बड़े मौकों पर जीत दिलाई है।

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मनीष पांडे के नाम का जिक्र होते ही उत्तराखण्ड के लोगों में अलग ही उत्साह देखने को मिलता है। भारतीय टीम का ये बल्लेबाज भले ही अपनी धीमी बल्लेबाजी के कारण आलोचना झेलता हो लेकिन पांडे ने अपनी टीम के लिए आलोचना झेलना बेहतर समझा। अब हम आपकों मनीष पांडे के उस इतिहास के बारे में बताने जा रहे है जो शायद भारतीय क्रिकेट इतिहास का गर्व है। भारत ने टी-20 खेलना साल 2006 से शुरू किया। आईपीएल की शुरुआत 2008 में हुई लेकिन भारतीय टीम का कोई भी बल्लेबाज टी-20 में शतक बनाने से नाकाम रहा। मनीष ने साल 2008 के आईपीएल के पहले सीजन में मुंबई इंडियंस की ओर से खेला।

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बागेश्वर के मनीष का इस दौरान ज्यादा मौके नहीं मिले। दूसरे सत्र में उन्हें आरसीबी ने अपनी टीम में जोड़ा तो उन्होंने ऐसा इतिहास रच दिया जो शायद उनके नाम को भारतीय क्रिकेट में अमर कर गया। पांडे ने डेक्कन चार्जर्स के खिलाफ 114 रनों की पारी खेली। ये किसी भी भारतीय का टी-20 में पहला शतक था। पांडे 2008 में अंडर-19 विश्वकप जीतने वाली टीम के सदस्य भी थे। आईपीएल में कामयाबी के बाद उन्हें कर्नाटक की टीम से रणजी खेलने का मौका मिला और उन्होंने रणजी में भी कमाल कर दिखाया। पांडे ने अपने प्रथम श्रेणी करियर में 9741 रन बना चुके है। साल 2009 -10 के रणजी सत्र में 882 रनों के साथ सबसे अधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी बने, जिसमें चार शतक पांच अर्धशतक शामिल थे. प्रतियोगिता के दौरान उन्होंने 63 की शानदार औसत बरकरार रखी।

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