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पार्टी ने उतारा उम्मीदवार , प्रत्याशी ने नहीं भरा नामांकन और बोला मैं हूं बीमार


नैनीतालः एक समय में जो पार्टी उत्तराखंड की जनता के लिए तीसरे विकल्प के रूप में खड़ी होती थी, वह आज लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी को तरसती देखी जा रही है। हम बात कर रही है उत्तराखंड क्रांति दल। उत्तराखंड की सबसे छोटी पर असरदार पार्टी के रूप में देखी जाती थी पर अब उत्तराखंड क्रांति दल लगभग हार सी गई है। यह हार यूकेडी के बड़े नेता मानते दिख रही है। उत्तराखंड में 25 मार्च को आखरी दिन लगभग हर प्रत्याशी ने नामांकन भरा पर कुछ नेता ऐसे भी थे जो नामांकन से ही बचते नजर आये।

नैनीताल लोकसभा सीट में नामांकन के अंतिम समय से 3 मिनट देरी से यूकेडी के प्रत्याशी चौधरी विजयपाल सिंह पहुचे , जिसके बाद नामांकन कर रहे अधिकारी ने यूकेडी प्रत्याशी को नामांकन समय समाप्त होने की बात करते हुए नामांकन रद्द कर दिया। वही टिहरी लोकसभा में तो यूकेडी के प्रत्याशी ने नामांकन से ही हाथ जोड़ लिए। इस घटना ने यूकेड़ी के नेताओं के हाथ-पैर फूला दिये। जिसके बाद पिछले चुनाव में यूकेडी के प्रत्याशी रहे जयप्रकाश उपाध्याय को बड़ी मुसक्कत के बाद टिहरी लोकसभा से यूकेड़ी प्रत्याशी के रूप में नामांकन कराया गया।उत्तराखंड लोकसभा में नामांकन के दिन ही उत्तराखंड क्रांति दल ने हार मान ली। 25 मार्च के इस मंजर से यूकेडी का भविष्य खतरे में देखा जा रहा है। जबकि 1989 में उत्तराखंड क्रांति दल ने राष्ट्रीय दलों की नाक में दम कर दिया था।  इस चुनाव के बाद लगभग हर चुनाव में यूकेडी का गराफ बड़ता ही चला गया। उत्तराखंड राज्य के लिए यूकेड़ी ने ही सबसे बड़ा आंदोलन चलाया था।

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