देहरादून : अपनी पक्षी विविधता के लिए मशहूर उत्तराखंड को ‘बर्ड डेस्टिनेशन‘ के रूप में विकसित करने के साथ ही इसे केंद्र सरकार के स्किल इंडिया कार्यक्रम से भी जोड़ा जाएगा। इसके लिए वन महकमे ने प्रयास प्रारंभ कर दिया है। इस कड़ी में बर्ड वाचिंग के लिहाज से पहले से विकसित स्थलों से इतर नए स्थल चिह्नीत करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके पीछे मंशा ये है कि अमेरिका और यूरोप की तर्ज पर बर्ड वाचिंग को यहां भी रोजगार से जोड़ा जाए। इससे लोगों को पक्षी संरक्षण से जोडऩे में मदद मिलेगी और पर्यावरण भी महफूज रहेगा।
देशभर में पाई जाने वाली 1300 प्रजातियों में से 700 उत्तराखंड में चिह्नीत हैं। फिर चाहे वह हरकी दून क्षेत्र हो या फिर गंगा-यमुना की घाटियां अथवा कार्बेट व राजाजी टाइगर रिजर्व समेत दूसरे संरक्षित क्षेत्र व वन प्रभाग, सभी परिंदों की ऐशगाह हैं। देहरादून, पवलगढ़, नैनीताल, देवलसारी, बिनसर, आसन, लैंसडौन जैसे क्षेत्रों में पक्षी अवलोकन को देश-विदेश से लोग आते हैं, लेकिन इनकी संख्या काफी कम है। फिर इसे रोजगार से जोड़ने की दिशा में वैसी ठोस पहल नहीं हो पाई, जिसकी दरकार है।
वन विभाग ने विदेशों की तर्ज पर बर्ड वाचिंग को यहां भी रोजगार से जोड़ने की दिशा में गंभीरता से कदम उठाने की ठानी है। प्रमुख मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ) जयराज के मुताबिक अमेरिका व यूरोप में बर्ड वाचिंग का कई मिलियन का कारोबार है। इस लिहाज से देखें तो उत्तराखंड में काफी कुछ किया जा सकता है। इसीलिए विभाग ने उत्तराखंड को बर्ड डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किया जाएगा। इससे पक्षी संरक्षण में मदद मिलने के साथ ही स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
स्किल इंडिया से जोड़कर इन सभी डेस्टिनेशन के आसपास के गांवों के लोगों को गाइड, होम स्टे आदि से संबंधित प्रशिक्षण दिया जाएगा। इससे लोगों को रोजगार मिलेगा और राज्य का विकास भी होगा ।