News भगवान का वहीखाता By Haldwani Live News Desk Posted on 23/12/2016 Share Tweet Share Email Comments कभी- कभी लगता है जैसे उसका वहीखाता हमारे भी हिसाब-किताब पर रीझ जाता है छोटी – छोटी खुशियाँ ही सही , पर जब पूरी होतीं हैं – लगता है जैसे निराशाओ के गर्म रेत में आशाओं की ठंडी कोक-पेप्सी या डियु मिल गई हो ! ठिठुरी हुई उदासी को जैसे सौगातो का मखमली कंबल और गर्म चाय की प्याली मिल गई हो ! ठहरे हुए कदमो की चाल को झूमते बादलो ने यूँ ही खनका दिया हो ! Related Items:आशाओं की ठंडी कोक-पेप्सी, कभी- कभी, छोटी - छोटी खुशियाँ Share Tweet Share