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महकी हूँ मैं !!!!!!!!!


 

उसकी इनायतों की
घनी बरसातों से
यूं महकी हूँ मैं

ज्यों पहली बारिशों
के बाद मिट्टी से
सौंधी सी खुशबू
आती है

कैसे रोकूं मैं
उसे बरसने से

अरसों से तरसा
ग़मों का बादल है
ये कहाँ हर -रोज
बरसने वाला है

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