हल्द्वानी: पीलिया लीवर से सम्बंधित रोग है, इस रोग में रोगी की आँखे पीली पड़ जाती हैं। पेशाब का रंग पीला हो जाता है। अधिक तीव्रता होने पर पेशाब का रंग और भी खराब हो जाता है। पीलिया दिखने में बहुत साधारण सी बीमारी लगती है। मगर इसका सही समय पर इलाज ना हो तो ये बहुत भयंकर परिणाम दे सकती है। इसमें रोगी की जान तक जा सकती है।
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हल्द्वानी साहस होम्यो क्लीनिक के डॉक्टर एन.सी पाण्डे ने बताया कि विषाणु जनित यकृतशोथ पीलिया या Viral Hepatitis यह एक प्रकार के वायरस से होने वाला रोग है जो इस रोग से पीडित रोगी के मल के संपर्क में आये हुए दूषित जल, कच्ची सब्जियों आदि से फैलता है कई लोग इससे ग्रस्त नहीं होते है उनके मल से इसके वायरस दूसरो तक पहुच जाते है पेट से यह लीवर में और वहां से सारे शरीर में फ़ैल जाता है रोगी को लगाईं गई सुई का अन्य स्वस्थ व्यक्ति के शरीर में बिना उबले प्रयोग करने से व रोगी का खून अन्य स्वस्थ व्यक्ति में चड़ने से भी यह रोग फैलता है ।इसके अतिरिक्त शरीर में अम्लता की वृद्धि, बहुत दिनों तक मलेरिया रहना, पित्त नली में पथरी अटकना, अधिक मेंहनत, जादा शराब पीना, अधिक नमक और तीखे पदार्थो का सेवन, दिन में ज्यादा सोना, खून में रक्तकणों की कमी होना आदि कारणों से भी इस रोग की उत्पत्ति होती है !
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होम्योपैथिक दवा जो पीलिया से लड़ने में सहायक
- HEPATICA 30/6 ( 3-5 टेबलेट दिन में तीन बार)
- CAEDUUS MARIANUS Q ( 20 बूंदे दिन में जीत बार ) इसे आधे ग्लास पानी में लेना है
- JONDILA ( 5 एमएल तीन में तीन बार) खाना खाने से पहले भारी खाना खाने से दूर रहे