नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक ने अपने कर्मचारियों को विलय को लेकर आश्वस्त करते कहा कि कुछ शाखाओं को एक जगह से दूसरी जगह स्थानांतरित किया जा सकता है, लेकिन कोई भी शाखा बंद नहीं होगी। एसबीआई की अध्यक्ष अरुंधति भट्टाचार्य ने कहा, “मुझे नहीं लगता कि हम किसी शाखा को बंद करने जा रहे हैं। यह एक ऐसा क्षेत्र है जिसके खिलाफ काफी प्रचार किया जा रहा है। लेकिन हम एसोसिएट बैंकों के साथ मिलकर काम करेंगे।”
भट्टाचार्य ने आईएएनएस को फोन पर बताया, “निश्चित रूप से अगर की इमारत में एसोसिएट बैंकों को मिलाकर तीन शाखाएं होंगी तो उन्हें वहां बनाए रखने में कोई तुक है। अगर हम बाकी शाखाओं को 60 किलोमीटर दूर स्थानांतरित कर दें, तो ज्यादा लोगों तक बैंकिंग सेवाओं की पहुंच होगी। हम कुछेक शाखाओं को एक जगह से दूसरी जगह ले जाएंगे।”
उन्होंने आगे कहा कि जिन एसोसिएट बैंकों का मर्जर किया जा रहा है, उनकी 24,000 से ज्यादा शाखाएं हैं। इसलिए हमें मिलकर इनका लाभ उठाना है।
उन्होंने आगे कहा, “इससे न सिर्फ उत्पादकता बढ़ेगी, बल्कि उतने ही कर्मचारियों के साथ हम अपनी पहुंच भी बढ़ा सकेंगे। हम शाखाओं से कहीं आगे जाकर काम करेंगे। हम अपने बिक्री टीम को ग्राहकों के पास भेजेंगे। ग्राहकों के पास अत्याधुनिक तकनीक से युक्त सुविधाएं होंगी।”
देश के सबसे बड़े बैंक एसबीआई में स्टेट बैंक ऑफ बीकानेर एंड जयपुर, स्टेट बैंक ऑफ ट्रावनकोर, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद और स्टेट बैंक ऑफ महाराष्ट्र के साथ ही भारतीय महिला बैंक का विलय हो रहा है। इससे एसबीआई की संपत्ति में 8 लाख करोड़ रुपये का इजाफा होगा।
इसके बाद एसबीआई दुनिया की शीर्ष 50 बैंकों में शामिल हो जाएगा। भट्टाचार्य का कहना है कि यह प्रक्रिया मार्च 2017 तक पूरी हो जाएगी। उन्होंने कहा, “हमें कुछ समय सारिणी और प्रक्रियाओं को पूरा करना होगा। हम कोशिश कर रहे हैं कि यह काम मार्च 2017 तक पूरा हो जाए।”
एसबीआई पहले से ही ‘फॉर्च्यून 500’ कंपनियों की सूची में शामिल है। अरुं धति ने कहा कि बैंकों के एकीकरण से एसबीआई की गैर निष्पादित परिसंपत्तियां (फंसे हुए कर्जो की रकम) भी कम हो जाएगी, लेकिन कितनी होगी अभी ये आंकड़े उनके पास नहीं है।
उन्होंने कहा, “इसमें 6 संस्थाएं शामिल है। इसलिए कई मुद्दों को सुलझाना होगा, जो चुटकी बजाते ही हल नहीं होगी। बैलेंस शीट तो पहली चीज है। हमारे पास विलय को लेकर काफी काम करने हैं।”
अरुं धति बैंकों के विलयीकरण से पूर्व अक्टूबर में सेवानिवृत्त हो रही हैं। इसलिए सरकार उन्हें एक साल का सेवा विस्तार देने पर विचार कर रही है, ताकि वे पूरी प्रक्रिया की देखरेख कर सकें।
उन्होंने कहा, “मैंने अपने सेवा विस्तार के बारे में सरकार की तरफ से कुछ भी नहीं सुना है। लेकिन यहां बदलाव होते रहते हैं और हमें इसके लिए तैयार रहना चाहिए। हमारे पास हर क्षेत्र के लिए टीम हैं और वे अपना काम कर रही हैं।”