जो अब तक नहीं हुआ
जरूरी नहीं कि आगे
भी नहीं होगा !
मैं नाहक ही उसको
देती रही तोहमतें
मैंने ही कहा था उससे
जो मेरे लायक हो
जिसके मैं काबिल हूँ
सब देना इसी जनम में
फिर न फंसना आवागमन में
तभी इतना लम्बा दर्द मिला
साथ ही देता रहता है
दर्द सहने की अपार शक्ति
न जाने कब इस शक्ति और दर्द
में से एक कम होगा !
कोंन सी शुभ घड़ी, और
कोंन सा वो दिन होगा !