हल्द्वानी : टिहरी के पर्यटन विभाग की लापरवाही और अदूरदर्शिता के चलते टिहरी झील क्षेत्र के पैराग्लाइडिंग हब बनने का सपना टूटता हुआ लग रहा है। साल 2016 में टिहरी पर्यटन महोत्सव के दौरान पर्यटन विभाग और सरकार ने टिहरी झील के आसपास के क्षेत्र को पैराग्लाइडिंग हब के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी। लेकिन, इसके बाद पर्यटन विभाग यहां पैराग्लाइडिंग का प्रशिक्षण देना ही भूल गया। तब महोत्सव में आए पैराग्लाइडिंग विशेषज्ञों ने टिहरी झील और आसपास के क्षेत्र को दुनिया की बेहतरीन पैराग्लाइडिंग साइट बताया था। उनका कहना था कि अगर यहां पर सरकार पैराग्लाइडिंग को प्रोत्साहित करे तो टिहरी झील देश का सबसे प्रमुख पैराग्लाइडिंग सेंटर बन सकती है।
टिहरी झील और प्रतापनगर की पहाड़ियां पैराग्लाइडिंग की दुनिया का एक अनूठा संगम है। वर्ष 2016 में हिमाचल प्रदेश सहित उत्तराखंड के पैराग्लाइडिंग विशेषज्ञ यहां पर्यटन महोत्सव में शामिल होने आए थे। तब उन्होंने यहां पर पैराग्लाइडिंग के लिए बेहतरीन माहौल होने की बात कही थी। इसके बाद पर्यटन विभाग ने भी यहां पैराग्लाइडिंग हब विकसित करने को योजना बनाने का दावा किया था। लेकिन मामला दावे से आगे नहीं बढ़ा और बीते दो सालों में पर्यटन विभाग यहां पर एक अदद पैराग्लाइडिंग प्रशिक्षण शिविर भी आयोजित नहीं कराया। जबकि, बीते माह बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) के जवान यहां पांच दिन तक पैराग्लाइडिंग कर चुके हैं। बावजूद इसके पर्यटन विभाग यहां पैराग्लाइडिंग को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रहा।
देश में फिलहाल हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर और पांग डैम में ही एसआइवी का प्रशिक्षण दिया जाता है। जबकि, नेपाल के पोखरा में एशिया का सबसे बड़ा एसआइवी सेंटर है। वहीं, टिहरी में 42 वर्ग किमी की विशालकाय झील और प्रतापनगर की पहाडिय़ां होने से यहां पर एसआइवी के लिए बेहतरीन माहौल है। अगर इसे शुरू किया जाता तो टिहरी झील दुनियाभर में इसके लिए प्रसिद्ध होती।
जिला पर्यटन अधिकारी कहना है कि शासन स्तर पर पैराग्लाइडिंग को लेकर कोई नियमावली नहीं बनी है।