हल्द्वानी: डकार लेना आमतौर पर ये समझा जाता है की जो खाना हम ने खाया है वो या तो हजम हो गया है या हमारे सिस्टम का संकेत है की अब और खाना नहीं लेकिन ऐसा नहीं है। जब कोई इंसान खाना खाते वक्त या उसके बाद बार-बार डकार लेता है तो इसका मतलब है कि उसने खाने के साथ ज्यादा मात्रा में हवा निगल ली है। जब हम हवा निगलते हैं तो उसी तरह बाहर भी निकलती है, इसलिये जब यह मुंह से बाहर निकलती है तो हम इसे डकार कहते हैं।
यह पेट से गैस के बाहर निकलने का प्राकृतिक तरीका है, अगर पेट से गैस बाहर न निकले तो यह कई पेट की समस्याओं को जन्म देती है जैसे पेट में बहुत दर्द और पेट फटने या अफारा जैसा आदि। लेकिन जब डकार अधिक आए तो इसके पीछे पाचन तंत्र के ऊपरी भाग में पेप्टिक अल्सर या गैस्ट्रोपारेसिस जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं। जब लगातार डकार आती हैं तो लोग विचलित हो जोते हैं और उन्हें समझ में नहीं आता कि इन्हें कैसे रोका जाए। डकार में पेट की गैस को मुंह से निकाला जाता है जिसमें कभी कभी अजीब सी आवाज़ और गंध होती है। अधिकतर डकार आना किसी बीमारी का संकेत नहीं है। फिर भी समाज में इसे स्वीकार नहीं किया जाता। भारतीय संस्कृति में कुछ स्थितियों में इसे स्वीकार नहीं किया जाता। जापान में इसे शिष्टाचार के विरुद्ध समझा जाता है। पश्चिमी सभ्यता जैसे उत्तरी अमेरिका, फ्रेंच और जर्मन में भी डकार को उचित नहीं समझा जाता तथा ऐसा माना जाता है कि डकार आने पर आपको आवाज़ दबाने का प्रयत्न करना चाहिए तथा माफ़ी मांगनी चाहिए।
डकार की परेशानी दूर करेगी होम्योपैथिक दवाएं-डॉक्टर नवीन चंद्र पांडे साहस होम्योपैथिक क्लीनिक हल्द्वानी
- Carbo Veg 30 की 2 बूंदे दिन में 3 से 6 बार तक
- Bio-combination 25 की 4 गोली 3 से 6 बार तक लें।