देहरादून: प्रदेश में विधानसभा चुनावों के लिए नामांकन भरने की प्रक्रिया पूरी हो गई है। बीते दिन नामांकन की आखिरी तिथि थी। यही कारण था शुक्रवार को प्रदेश की कुछ सीटों पर काफी अफरातफरी देखी गई। भारतीय जनता पार्टी की बात करें तो पार्टी को करीब 16 बागियों से खतरा है। भाजपा को चाहिए कि नाम वापसी से पहले इन बागियों को मना कर अपने पक्ष में किया जाए। गौरतलब है कि इस की जुगत में पार्टी ने सांसदों समेत पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी लगा दिया है।
बता दें कि भाजपा के लिए 16 बागी चुनौती बन गए हैं। अब पार्टी स्तर पर उन्हें मनाने की कोशिशें भी शुरू की जा चुकी हैं। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत की ओर से खाली की गई डोईवाला सीट पर तीन-तीन नेताओं ने अधिकृत प्रत्याशी के सामने चुनौती पेश की है। यहां तीन नेताओं ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल कर दिया है।
देहरादून जिले की ऋषिकेश विधानसभा सीट पर उषा रावत, डोईवाला से जितेंद्र नेगी, सुभाष भट्ट और सौरभ थपलियाल, धर्मपुर से वीर सिंह पवार, कैंट से दिनेश रावत भाजपा की मुश्किलें बढ़ाने की राह पर निकल पड़े हैं। इनके अलावा हरिद्वार जिले की रानीपुर सीट पर इशांत तेजियान, पिरान कलियर सीट पर जय भगवान सैनी ने चुनौती पेश कर दी है।
टिहरी जिले की बात करें तो यहां घनसाली से सोहन लाल खंडेवाल, दर्शन लाल, धनोल्टी सीट पर पूर्व विधायक महावीर रांगढ़ ने बागी रुख अपना लिया है। पौड़ी में भी परेशानी भाजपा के लिए कम नहीं है। यहां कोटद्वार सीट पर भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष वीरेंद्र चौहान पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकते हैं। इनके साथ उत्तरकाशी जिले की यमुनोत्री सीट पर पूर्व राज्य मंत्री जगबीर सिंह भंडारी, चमोली जिले की कर्णप्रयाग सीट पर टीका प्रसाद मैखुरी भी इसी लिस्ट में शामिल हैं।
इधर कुमाऊं मंडल में भी परेशानियां कम नहीं है। उधम सिंह नगर की रुद्रपुर और किच्छा सीट पर क्रमानुसार विधायक राजकुमार ठुकराल और अजय तिवारी ने बागी तेवर अपनाए हैं। वहीं अल्मोड़ा की रानीखेत सीट पर दीपक करगेती, नैनीताल की लालकुआं सीट पर पवन चौहान और कुंदन सिंह मेहता भी बीते दिन अपनी मंशा साफ कर चुके हैं। वही कालाढूंगी से गजराज सिंह बिष्ट ने भी कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है।
हालांकि भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक अभी भी आश्वस्त हैं। उनका कहना है कि भाजपा में सभी अनुशासित कार्यकर्ता हैं। समय रहते यह सभी कार्यकर्ता अपने अपने नामांकन पत्र वापस लेंगे। सभी कार्यकर्ता अधिकृत प्रत्याशियों के समर्थन में मैदान में उतरेंगे। पार्टी स्तर से ऐसे कार्यकर्ताओं से लगातार बातचीत की जा रही है।