तीसरी पीढ़ी से भारतीय सेना में शामिल हुए पिथौरागढ़ के चंचल सिंह चौहान
सीमांत जिले पिथौरागढ़ के स्यांला गांव के चंचल सिंह चौहान ने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे क्षेत्र का मान बढ़ाया है। खास बात यह है कि उन्होंने परिवार की सैन्य परंपरा को जारी रखते हुए लगातार तीसरी पीढ़ी के रूप में देश सेवा करने का निर्णय लिया है।
परिवार की सैन्य विरासत को आगे बढ़ाया
चंचल का परिवार पहले से ही भारतीय सेना से जुड़ा रहा है।
- दादा केशर सिंह चौहान सेना से सेवानिवृत्त हो चुके हैं।
- पिता देवेंद्र सिंह चौहान भी भारतीय सेना में सेवा देने के बाद सेवानिवृत्त हुए हैं।
- उनकी दादी हरी देवी और माता गीता चौहान गृहणी हैं, जिन्होंने उन्हें सैन्य अनुशासन और मूल्यों से परिचित कराया।
- अब चंचल सिंह चौहान इस गौरवशाली परंपरा को आगे बढ़ाते हुए देश की रक्षा के लिए तैयार हैं।
शिक्षा और सैन्य करियर की तैयारी
चंचल ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा हिमालय पब्लिक स्कूल, एपीएस (आर्मी पब्लिक स्कूल), और एसआईटी पिथौरागढ़ से पूरी की। बचपन से ही सेना में जाने का सपना रखने वाले चंचल ने कठिन परिश्रम और अनुशासन के साथ अपनी तैयारी की। उनकी मेहनत का नतीजा है कि आज वे भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनने में सफल रहे।
गांव और क्षेत्र में खुशी का माहौल
चंचल की इस शानदार उपलब्धि के बाद पूरे क्षेत्र में हर्षोल्लास का माहौल है। परिवार, रिश्तेदारों और स्थानीय निवासियों द्वारा उन्हें लगातार बधाइयां दी जा रही हैं। सेना में भर्ती होने का सपना देखने वाले युवाओं के लिए चंचल प्रेरणा स्रोत बन गए हैं।
देश सेवा के लिए पूरी तरह तैयार
लेफ्टिनेंट बनने के बाद अब चंचल सिंह चौहान भारतीय सेना में अपनी सेवाएं देंगे। उनके इस साहसिक फैसले से यह साबित होता है कि देशभक्ति उनके परिवार की रग-रग में बसी हुई है। उनका यह कदम आने वाली पीढ़ियों को भी देश सेवा के लिए प्रेरित करेगा।
गर्व और प्रेरणा का प्रतीक
तीसरी पीढ़ी के रूप में भारतीय सेना में शामिल होकर चंचल ने यह साबित कर दिया कि राष्ट्र सेवा ही उनके परिवार की प्राथमिकता रही है। उनकी सफलता उन तमाम युवाओं के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण है, जो भारतीय सेना में शामिल होकर देश की रक्षा करने का सपना देखते हैं।
