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उत्तराखंड के अजीत डोभाल पर PM मोदी ने फिर जताया भरोसा, तीसरी बार बने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार


Ajit Doval: National Security Advisor: अजीत डोभाल यह नाम किसी पहचान का मोहताज नहीं है। जब-जब दुश्मन इस नाम को सुनता है तो थर-थर कांप उठता है। अजीत डोभाल ने अपने काम से पूरी दुनिया में एक अलग पहचान बनाई है। अजीत डोभाल को मोदी सरकार में सबसे शक्तिशाली अधिकारी के रूप में जाना जाता है। इसी के चलते अजीत डोभाल को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल में एक बार फिर से भारत का नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (NSA) नियुक्त किया गया है। ( Ajit Doval became National Security Advisor )

2014 में एनएसए बनाया गया था

मोदी सरकार के शपथ लेने के बाद से ये अटकलें लगाई जा रही थीं कि क्या अजीत डोभाल को फिर से यह जिम्मेदारी मिलेगी। लेकिन प्रधानंत्री मोदी ने एक बार फिर से अजीत डोभाल की काबिलियत पर विश्वास जताया है। उन्हें पहली बार 2014 में एनएसए बनाया गया था। उसके बाद 2019 में भी उन्हें इस पद पर बरकरार रखा गया। डोभाल को लगातार तीसरी बार यह जिम्मेदारी दी गई है। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का नेतृत्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार करते हैं, जिनका मुख्य काम राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों पर प्रधानमंत्री को सलाह देना होता है। ( Ajit doval appointed as National security Advisor for third time )

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अजित डोभाल से जुड़ी खास बातें

बता दें कि 1968 बैच के आईपीएस अधिकारी अजीत डोभाल, मूल रूप से उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले के बनेलस्यूं पट्टी स्थित घीड़ी गांव के रहने वाले हैं। और वे भारत के दूसरे सबसे बड़े शांतिकालीन वीरता पुरस्कार कीर्ति चक्र से सम्मानित होने वाले पहले पुलिस अधिकारी हैं। अजीत डोभाल ने छह सालों तक पाकिस्तान स्थित भारतीय उच्चायोग में सेवा की है। साल 1999 के कंधार विमान हाईजैक में एयर इंडिया की उड़ान IC-814 के यात्रियों की रिहाई के लिए वार्ताकार थे। इसके अलावा डोभाल ने 1988 में खालिस्तानी आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन ब्लैक थंडर में भी हिस्सा लिया था। अजित डोभाल ने इंटेलिजेंस ब्यूरो के डायरेक्टर के रूप में 2004 और 2005 के बीच कार्य किया। इसके अलावा NSA में अपने पहले कार्यकाल के दौरान उन्होंने 546 भारतीय नर्सों की वापसी में मदद की थी, जो आईएसआईएस के मोसुल पर कब्जा करने के बाद इराक में फंस गई थीं। इतना ही नहीं म्यांमार से संचालित नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नागालैंड के अलगाववादियों के खिलाफ एक सैन्य अभियान में भी उन्होंने एक अहम भूमिका निभाई। पुलवामा हमले के एक पखवाड़े के भीतर पाकिस्तान में घुसकर आतंकियों को खत्म करने की वायुसेना की रणनीति राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में ही तैयार हुई थी।

वर्ष 1945 में जन्मे अजीत डोभाल ने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा गांव के ही प्राथमिक विद्यालय से प्राप्त की‌। इसके बाद वे अजमेर चले गए जहां से उन्होंने अजमेर के सैनिक स्कूल से इंटरमीडिएट की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन किया।

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