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गजब का जज्बा… डॉ. विक्रम सिंह रावत ने लगातार 14 बार उत्तीर्ण की यूजीसी नेट परीक्षा

Dr. Vikram Singh Rawat
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टिहरी (गढ़वाल): उत्तराखंड के युवाओं ने एक बार फिर साबित किया है कि मेहनत और लगन से कोई भी मंज़िल दूर नहीं। हाल ही में घोषित यूजीसी नेट परीक्षा के नतीजों में राज्य के कई युवाओं ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है। इन्हीं में से एक नाम है तीर्थनगरी मुनि-की-रेती ऋषिकेश के रहने वाले गोल्ड मेडलिस्ट योगाचार्य डॉ. विक्रम सिंह रावत जिन्होंने लगातार 14वीं बार यूजीसी नेट परीक्षा उत्तीर्ण कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है।

डॉ. विक्रम सिंह रावत मूल रूप से टिहरी गढ़वाल के बछेलीखाल, देवप्रयाग के निवासी हैं और वर्तमान में ऋषिकेश में रहते हैं। खास बात यह है कि उन्होंने इन 14 प्रयासों में से पांच बार JRF की कट-ऑफ से भी अधिक अंक हासिल किए हैं। वे इस समय यूजीसी नेट और जेआरएफ की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों को मार्गदर्शन भी दे रहे हैं।

डॉ. रावत ने पतंजलि विश्वविद्यालय हरिद्वार से योग विज्ञान में पीएचडी की है। उनका शोध “Enhancing the Quality of Life of Ageing Elders Through Yoga Practices” विषय पर रहा….जिसे उन्होंने प्रोफेसर पारन गौड़ा के निर्देशन में पूरा किया। इसके अलावा उन्होंने राजकीय पॉलिटेक्निक नरेन्द्रनगर से इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में तीन साल का डिप्लोमा और देहरादून के एक निजी संस्थान से कंप्यूटर हार्डवेयर एंड नेटवर्किंग इंजीनियरिंग में भी एक साल का डिप्लोमा किया है।

डॉ. रावत ने उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी से मनोविज्ञान में एमए की डिग्री भी सर्वोच्च अंकों के साथ प्राप्त की…जिसके चलते वे विश्वविद्यालय में टॉपर रहे। वहीं उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय हरिद्वार से योग विषय में एमए की डिग्री और पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा (पीजीडी योग) की पढ़ाई के दौरान भी उन्होंने यूनिवर्सिटी टॉप किया और दोनों बार स्वर्ण पदक से सम्मानित हुए।

डॉ. विक्रम सिंह रावत की यह उपलब्धि सिर्फ उनके परिवार या राज्य के लिए ही नहीं….बल्कि उन तमाम युवाओं के लिए भी प्रेरणा है जो लगातार मेहनत और समर्पण से अपने लक्ष्य को पाने की कोशिश में जुटे हैं। उनके इस सफर ने एक बार फिर साबित किया है कि कठिन परिश्रम और संकल्प से हर असंभव को संभव बनाया जा सकता है।

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