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अमेरिकी गायक जेफरी कैगेल कैसे बने कृष्णादास, नीम करौली बाबा के साथ क्या है रिश्ता !

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देहरादून: भक्ति संगीत की दुनिया में अपने अनूठे कीर्तन गायन से दुनियाभर में प्रसिद्ध अमेरिकी मूल के गायक कृष्णदास एक बार फिर ऋषिकेश आ रहे हैं। हारमोनियम पर पारंपरिक भारतीय मंत्रोच्चार और भक्ति संगीत की उनकी सुरलहरियां श्रोताओं को हमेशा मंत्रमुग्ध कर देती हैं।

न्यूयॉर्क में 31 मई 1947 को जन्मे कृष्णदास का असली नाम जेफरी कैगेल है। पश्चिमी संस्कृति में पले-बढ़े जेफरी का भारतीय अध्यात्म से जुड़ाव वर्ष 1970 में हुआ, जब वह भारत आए और उनकी भेंट प्रसिद्ध संत बाबा नीम करौली से हुई। बाबा की आध्यात्मिक शिक्षाओं से गहराई से प्रभावित होकर उन्होंने करीब तीन वर्ष तक नैनीताल जिले में बाबा के आश्रम में रहकर साधना की। इसी दौरान उन्होंने भक्ति संगीत की राह अपनाई और अपने गुरु से प्रेरित होकर ‘कृष्णदास’ नाम धारण किया।

कृष्णदास आज भी बाबा नीम करौली और हनुमान जी के अनन्य भक्त हैं। उन्होंने ‘कीर्तन वाला फाउंडेशन’ की स्थापना की, जो बाबा की शिक्षाओं और कीर्तन परंपरा के प्रसार के लिए समर्पित है।

अब तक कृष्णदास सत्रह एल्बम जारी कर चुके हैं। वर्ष 2013 में उनका एल्बम ‘लाइव आनंद’ प्रतिष्ठित ग्रैमी अवॉर्ड के लिए बेस्ट न्यू एज एल्बम श्रेणी में नामांकित हुआ था।

इससे पहले वह वर्ष 2024 में भी ऋषिकेश के स्वामी स्वतंत्रानंद आश्रम, स्वामी दयानंद नगर (शीशम झाड़ी) में अपने कीर्तन कार्यक्रम से श्रद्धालुओं को भावविभोर कर चुके हैं। अब एक बार फिर उनके आगमन की खबर से भक्ति संगीत प्रेमियों में उत्साह का माहौल है।

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