हल्द्वानी: इस वक्त की सबसे बड़ी खबर पूर्व केंद्रीय मंत्री बची सिंह रावत को लेकर आ रही है। वह अब इस दुनिया में नहीं रहे। भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री बची सिंह रावत को शनिवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया था। उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने की शिकायत की थी। उन्हें हल्द्वानी से एयर एम्बुलेंस में लाया गया और अस्पताल के आपातकालीन वार्ड में भर्ती कराया गया जहां चिकित्सा विशेषज्ञ उनकी देखरेख कर रहे थे। वह फेफड़े के संक्रमण से पीड़ित थे। चार बार के सांसद ( अल्मोड़ा) रावत केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री भी रह चुके थे। उनके निधन की खबर के सामने आने के बाद पूरे राज्य में शोक की लहर दौड़ पड़ी है। अपनी सादगी के लिए वह लोगों के प्रिय थे। सैंकड़ों लोग उन्हें सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
बची सिंह का जन्म 1 अगस्त 1949 को अल्मोड़ा जिले के रानीखेत के पास के पली गाँव में हुआ। उन्होंने अल्मोड़ा से अपनी स्कूली शिक्षा हासिल की। वहीं परस्नातक की पढाई उन्होंने लखनऊ विश्वविद्यालय से की, जहाँ से उन्हें विधि की उपाधि मिली। एम.ए. अर्थशास्त्र उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय से पूरा किया।
बची सिंह रावत1992 में पहली बार वह उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य चुने गए। साल 1993 में दोबारा विधायक का चुनाव लड़ा और जीत के आये। अगस्त 1992 में 4 महीने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार में राजस्व मंत्री बनाये गए। 1996 में लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने और राष्ट्रीय राजनीति में कदम रखा। 1996-1997 तक संसद की कई कमिटी के सदस्य रहे। 1998 में दोबारा लोक सभा में चुनकर आये। 1998-99 तक फिर महत्वपूर्ण कमिटियों जैसे सूचना-प्रसारंण मंत्रालय के सलाहाकर रहे। 1999 में दोबारा लोकसभा चुनाव हुए और तीसरी बार जीत दर्ज की।
साल 1999 में ही पहली बार केंद्र सरकार में रक्षा राज्य मंत्री का पद संभाला और फिर 1999-2004 तक निरंतर विज्ञान और तकनीकी केंद्रीय राज्यमंत्री रहे। 2004-2006 में फिर से लोक सभा सांसद बने लेकिन इस बार विपक्ष में बैठना पड़ा। 2007 चुनाव में पार्टी अध्यक्ष बने और पार्टी को विधान सभा चुनावों में बहुमत दिलवाया और 2009 तक इस पद पर बने रहे। उन्होंने उत्तराखंड में कभी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा। साल 2009 लोकसभा चुनाव उन्होंने नैनीताल सीट से लड़ा था जहां कांग्रेस के केसी सिंह बाबा ने उन्हें हराया। वहीं इससे पहले वह अल्मोड़ा से 4 बार सांसद रहे।