Indian Politics Update: Bareilly:
आजादी के 76 वर्ष बाद भी धर्म और मजहब से राजनीति को जोड़कर अपना मतलब निकालने वाले सभी कथा-कथित सेक्युलर नेताओं को बरेली मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने आइना दिखाने का काम किया है। देश के बदल रहे राजनीतिक परिवेश और विकसित भारत की तरफ अग्रसर हो रहे हर भारतीय के भविष्य से आने वाले हजार वर्षों तक सशक्त परिवर्तन और स्पष्ट विचारधारा की स्थापना होना तय है। ऐसे में 2024 के लोकसभा चुनाव पास हैं और विपक्षी नेता मजहब के कंधे पर अपनी मंशाओं की बन्दूक रखे हुए मजहबी वोट पाने की कोशिश में लगे हुए हैं। इसी बीच आल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष मौलाना शाहबुद्दीन रजवी ने रविवार को छत्तीसगढ़ के जिला अंबिकापुर में आयोजित कांफ्रेंस में मोदी का विरोध ना करने की सभी से अपील की है।
आजादी के बाद से देश मजहब और धर्म के तनाव से जूझता रहा है, लोगों का विश्वास और उनकी आस्था अपने धर्म और मजहब के प्रति इतनी दृढ़ रही है कि कई राजनीतिक पार्टियां भी उन सभी अनुयायियों का ध्यान अपनी राजनीती की तरफ आकर्षित करने में विफल रही हैं। यही कारण है कि लोगों के जीवन स्तर में सुधार लाने की जगह कई नेताओं ने धर्म और मजहब को ही अपनी राजनीतिक बुनियाद बना ली है। धर्म और मजहब अपने परमात्मा की भक्ति और उनके उपदेशों पर अपना जीवन सार्थकता से जीने का प्रशस्त मार्ग है लेकिन इस मार्ग में वोटबैंक के लिए दिए जाने वाले भाषण और बयान भावनाओं को भड़काने का काम करते हैं। इन भाषणों से बुरा असर उस मार्ग पर और उस मार्ग पर चलने वाले अनुयायियों के मन पर पड़ता है और फायदा वोटों के रूप में निम्न स्तर की राजनीती को मिलता है।
इसी बात का ज़िक्र करते हुए मौलाना रजवी ने विपक्षी नेताओं के बहकावे में ना आने का सभी मुस्लिम भाइयों से अनुरोध किया है। मोदी सरकार के कार्यकाल में आए अभूतपूर्व बदलाव और हर वर्ग के जीवन स्तर में सुधार का उल्लेख करते हुए मौलाना ने प्रधानमंत्री मोदी का विरोध ना करने की बात कही है। उन्होंने अपने भाषण में यह तक कहा कि कई विपक्षी राजनीतिक पार्टियों ने मोदी विरोध का जिम्मा सिर्फ मुसलामानों पर छोड़ दिया है जिससे प्रशासनिक कार्रवाई की ज़द में भी मुस्लिम समाज ही आता है और उन नेताओं और उनकी पार्टियों पर इसका भी कोई असर नहीं पड़ता।