देहरादून: आगामी विधानसभा चुनावों के लिए टिकट न देने पर भाजपा में बड़ी कलह उत्पन्न हो गई थी। भाजपा ने इस बार कुल मिलाकर 11 सिटिंग विधायकों के टिकट काटे थे। हालांकि अपने 9 विधायकों को मनाने में भाजपा सफल रही है। लेकिन अब और बड़ी चुनौती भाजपा का इंतजार कर रही है। वह यह कि अब इन नेताओं से अधिकृत प्रत्याशी के लिए प्रचार प्रसार कैसे करवाया जाए।
गौरतलब है कि भाजपा ने कई सारे सर्वे व विधानसभा क्षेत्रों से मिले फीडबैक को आधार मानकर इन विधायकों के टिकट काटे थे। इसमें कोई दोराय नहीं कि टिकट कटने से हर दावेदार नाराज होता है। अब वह पहले से क्षेत्र का विधायक हो तो उसकी नाराजगी लाजमी सी बात है। इन्हीं विधायकों ने बगावती सुर दिखाकर भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी थी। जिन विधायकों का टिकट कटा उनमें से एक ने पाला बदल दिया। जबकि कुछ ने निर्दलीय उतरने का ऐलान कर दिया।
आपको याद होगा कि कुछ दिनों पहले भाजपा ने प्रदेश के 4 पूर्व मुख्यमंत्रियों समेत कई सांसदों को रूठे हुए कार्यकर्ताओं को मनाने का जिम्मा दिया था। अब पार्टी अपने 9 विधायकों को मनाने में सफल हो गई है। लेकिन अभी भी नेताओं के मन में एक टीस सी जरूर होगी। ऐसे में वह किस तरह से अधिकृत प्रत्याशी के लिए प्रचार करेंगे यह देखने लायक बात होगी। हालांकि भाजपा के वरिष्ठ नेता इसी ओर लगातार प्रयासरत हैं।
जो विधायक मान गए हैं उनमें थराली से मुन्नी देवी, कर्णप्रयाग से सुरेंद्र सिंह नेगी,पौड़ी से मुकेश कोली, गंगोलीहाट से मीना गंगोला, कपकोट से बलवंत सिंह भौंर्याल, द्वाराहाट से महेश सिंह नेगी, अल्मोड़ा से रघुनाथ सिंह चौहान, झबरेड़ा से दशराज कर्णवाल, लालकुआं से नवीन दुमका शामिल हैं। इधर, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि टिकट कटने के बाद होने वाली नाराजगी स्वाभाविक, मगर क्षणिक होती है। अब सभी को मना लिया गया है और सब अधिकृत उम्मीदवार के प्रचार में जल्दी जुटेंगे।
ध्यान रहे कि उक्त सूची केवल विधायकों की थी। जो टिकट ना मिलने से नाराज चल रहे थे। ऐसे और भी कई दावेदार हैं जिन्होंने बगावती तेवर अपनाए थे। इनमें से कईयों को भाजपा ने मना लिया है तो कईयों को मनाने की जुगत में पार्टी जुटी हुई है। बीती रात भाजपा से बागी होकर निर्दलीय चुनावी ताल ठोकने वाले गजराज बिष्ट को भी पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मना लिया। माना जा रहा है कि वह आज अपना नामांकन वापस ले सकते हैं।