देहरादून: उत्तराखंड क्रिकेट टीम को मुंबई ने रणजी ट्रॉफी के क्वार्टर फाइनल में 725 रनों से हराया। इस ने 92 साल पुराना रिकॉर्ड तो तोड़ा ही बल्कि कई सवाल भी खड़े कर दिए है। सवाल क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड पर उठ रहे हैं। यह सवाल मैदान के अंदर के नहीं बल्कि बाहर के मामलों से जुड़े हैं। इस हार के बाद न्यूज़ 9 की एक रिपोर्ट ने उत्तराखंड क्रिकेट में खलबली बचा दी है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड ने खिलाड़ियों को 100 रुपए से भी कम डीए दिया है जो एक दिन की मजदूरी से भी कम है। उत्तराखंड सरकार के मुताबिक उनके राज्य के दिहाड़ी मजदूर प्रतिदिन औसतन 800 रुपए कमाते हैं। आधिकारिक तौर पर उत्तराखंड के हर सीनियर खिलाड़ी के लिए 1500 रुपये दैनिक भत्ता मिलता है। इस रिपोर्ट के मुताबिक जब एक खिलाड़ी ने दैनिक भत्ते के लिए टीम मैनेजर से पूछा तो कहा गया कि वह अपने खर्चे से ही किसी एप से खाने का इंतज़ाम कर ले।
रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि उत्तराखंड क्रिकेट एसोसिएशन ने 31 मार्च 2021 ऑडिट का भी जिक्र है। सीएयू ने खिलाड़ियों के खाने-पीने पर बहुत पैसा खर्च किया है। सीएयू ने खाने पर एक करोड़ 74 लाख रुपए खर्च किए हैं, वहीं खिलाड़ियों के अलाउंस पर लगभग 50 लाख रुपए। रिपोर्ट की मानें तो सिर्फ केले खिलाने के लिए 35 लाख और पानी की बोतलों पर 22 लाख रुपए खर्च हुए हैं। बता दें कि डीए नहीं मिलने के संबंध में कप्तान ने बीसीसीआई को तक मेल कर दिया था।
सभी आरोपों से क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड ने किया इंकार
क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड ने उन आरोपों को सिरे से खारिज किया है जिनमें ये कहा गया था कि एसोसिएशन ने खिलाड़ियों को 100 रुपये प्रतिदिन का दैनिक भत्ता दिया है, वास्तव में यह गलत है। सीएयू का कहना है कि 2021-22 सत्र के लिए खिलाड़ियों को 1250 रुपए प्रतिदिन और सपोर्ट स्टाफ को 1500 रुपए प्रतिदिन भत्ता अप्रूव हुआ है। मगर कोराेना के कारण खिलाड़ी बायो बबल में रहे। जिस वजह से होटल से मिलने वाले खाने के पैसे डीए से काटे गए। जबकि बाकी की राशि उन्हें दी गई।
सीएयू ने उस रिपोर्ट का भी जवाब दिया है जिसके अनुसार सिर्फ केले खरीदने का बिल 35 लाख रुपए आया है। एसोसिएशन का कहना है कि इन आरोपों का कोई सिर पैर नहीं है। इसके साथ ही डीए भुगतान में देरी पर सीएयू ने कहा कि इसमें देरी हो सकती है। बीसीसीआई से राशि मिलने के बाद हम तत्काल रूप से आगे भेजते हैं। गौरतलब है कि इस पूरे मामले ने कई पुराने मामलों को प्रकाशित कर दिया है। देखना होगा कि आने वाले दिनों में उत्तराखंड क्रिकेट में क्या कुछ घटता है।