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जनरल बिपिन रावत ने मरते दम तक नहीं तोड़ा कोई वादा…आपको भावुक कर देगा पत्नी के साथ का सफर

जनरल बिपिन रावत ने मरते दम तक नहीं तोड़ा कोई वादा...आपको भावुक कर देगा पत्नी के साथ का सफर

नई दिल्ली: हमारे देश के फौजियों की बात अलग ही है। जहां उनमें भारत माता के लिए मरने मिटने का जुनून है वहीं उन्हें अपने सांसारिक रिश्ते निभाने भी बाखूबी आते हैं। इसका उदाहरण जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) सिर्फ जीते जी ही नहीं बल्कि दुनिया को अलविदा कहते हुए भी दे गए। बीते दिनों हेलिकॉप्टर क्रैश में शहीद हुए सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत की कहानी आपको भावुक कर देगी।

दरअसल अब से 36 साल पहले यानी 14 अप्रैल 1986 को दिल्ली के अशोका रोड (Delhi Ashoka Road) स्थित मधुलिका रावत के घर पर कैप्टन बिपिन रावत बारात लेकर गए थे। ये वही दिन था जब दोनों सदा सदा के लिए एक दूसरे के हो गए। बिपिन रावत बैंड बाजे के साथ आगे बढ़ रहे थे तो वहीं उनके दोस्त और परिवारीजन पटाखे फोड़ रहे थे।

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रात के करीब 12 बजे पंडित जी ने कहा कि ‘अब वर-वधु की गांठ बांध दीजिए।’ दुल्हन की बहनों ने बिपिन के अंगोछे के बाएं कोने को मधुलिका की लाल चुनरी के पल्लू से बांध दिया। इसके बाद पावन सात फेरे लिए गए। केवल पांच मिनट के बाद पंडित जी (priest) कहते हैं कि ‘अब आप दोनों सात जन्मों के साथी हो गए हैं।’

किसने सोचा था कि 36 साल बाद फिर वही दिल्ली होगी। फिर वही बारात जैसी भीड़भाड़ और बैंड बाजा होगा। इस बार भी बिपिन और मधुलिका को सजाया जाएगा। फिर एक मंडप (mandap) और अग्नि भी होगी। इस बार अलग दो बातें थी। पहला यह कि तोपों ने 17 बार गोले दागकर उन्हें सलामी दी।

लेकिन इस बार माहौल दुखी था। शोक की लहर थी। आंसुओं का सैलाब था। पंडित ने इस बार कहा, ‘तारिणी और कृतिका अपने माता-पिता को मुखाग्नि दीजिए।’ यह वही वक्त था जब सीडीएस जनरव बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत (Madhulika Rawat) एक साथ पंचतत्व में विलीन हो रहे थे। अंतिम संस्कार के वक्त मौजूद हर आंख इसलिए और ज्यादा नम थी क्योंकि दोनों यहां भी साथ रहे।

दो चिताएं नहीं सजाई गईं। एक ही चिता पर दोनों लेटे थे। देखा जाए तो दोनों ने एक दूसरे से साथ निभाने का हर वादा निभाया। चाहे जी कर और मर कर भी। दरअसल जनरल रावत ने कभी कोई वादा तोड़ा ही नहीं। हालांकि उनका उत्तराखंड में अपने पहाड़ पर बसने का सपना जरूर सपना ही रह गया। सीडीएस जनरल बिपिन रावत हमेशा हनारे बीच रहेंगे। आज वह जाने के बाद भी लोगों की आंखों का तारा बन गए हैं।

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