Chamoli: Bina: Success Story: वो दौर पीछे छूट चुका है, जब महिलाएं किसी सेवा के क्षेत्र में दिखाई नहीं देती। वो तो समाज की बेड़ियां थी, जो महिलाएं को केवल चार दीवारी के अंदर ही रखना चाहती थी। शिक्षा का विस्तार हुआ, लोगों की सोच बदली तो महिलाओं को भी आगे बढ़ने के अवसर मिले। वो भी पुरुषों की तरह सोचने लगी और आजीविका चलाने के लिए उनके पास भी विकल्पों की कमी नही है।
उत्तराखंड में वाहन चालक का काम केवल पुरुष किया करते थे लेकिन अब महिलाएं भी आगे आ रही है। ई-रिक्शा के बाद अब महिला टैक्सी चालक बन रही है। सबसे पहले अल्मोड़ा जिले की रेखा पांडे सामने आई और अब चमोली जिले की बीना देवी जो वान गांव की रहने वाली हैं और घर की आर्थिकि् को मजबूत करने के लिए ये ड्राइवर बन गई है।
बीना देवी की शादी साल 2010 में वैन गांव निवासी सुरेंद्र सिंह से हुई थी। घर की हालत अच्छी नहीं थी और आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने की वजह से वो केवल 10वीं तक पढ़ सकी। बीना के पत्नी सुरेंद्र सिंह पर्यटक गाइड के काम से जुड़े थे। वर्ष 2013 में जब उनके गांव तक सड़क पहुंची तो बीना ने गाड़ी चलाना सीखा। उनके पति की ओर से उन्हें सहयोग मिला।
साल 2016 में बीना ने कर्ज लेकर और कार खरीदकर ड्राइवर के रूप में काम करना शुरू कर दिया। इस काम से जुड़े बीना को अब 6 साल हो गए हैं। उन्हें खुशी कि वो खुद का काम कर रही हैं।। वह हर दिन औसतन 2,000 रुपये कमाती हैं। पिछले छह वर्षों में वह अपनी टैक्सी से पूरे उत्तराखंड का भ्रमण कर चुकी हैं। बीना टैक्सी ड्राइवर होने के साथ-साथ खेती का काम भी करती हैं।