देहरादून: इंसानियत धर्म निभाने वालों की चर्चा हर जगह होती है। पिछले दो साल में जो हालात सामने आए हैं उनमें अगर मदद के लिए लोगों ने हाथ नहीं बढ़ाया होता तो शायद कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ाई हम पहले ही हार जाते। आज हमारे पास एक ऐसी दंपत्ति की कहानी है, जिन्होंने एक हिरण को बेटी की तरह पाला। दंपत्ति ने हिरण का नाम जूली रखा और घर में उसे बच्चों की तरह प्यार किया गया लेकिन दंपत्ति को भी पता था एक ना एक दिन जूली को उन्हें खुद से अलग करना होगा। दंपत्ति की भलाई ने एक बार फिर बता दिया कि क्यों ईश्वर ने इंसानों को सबसे बेहतर जिंदगी दी है।
यह कहानी है कि चमोली जिले के नारायणबगड़ के केवर गांव की। जहां पिछले साल 4 मार्च 2020 के दिन उमा देवी नाम की महिला को हिरण का बच्चा दिखाई दिया। पहले दिन उन्होंने बच्चे को जंगल में ही रहने दिया क्योंकि उन्हें लगा कि हिरण की मां आसपास होगी। दूसरे दिन भी हिरण उन्हें उसी इलाके में दिखाई दिया जो बेसुध अवस्था में पड़ा हुआ था। उन्होंने हिरण के बच्चे को उठाया और उसे घर ले आई। उमा देवी और पति दर्शनलाल ने हिरण को बच्चे की तरह पाला। हिरण का नाम जूली रखा गया जो पूरे गांव में विख्यात हो गई। जिस तरह एक बच्ची को परिवार सुरक्षा देता है वैसा ही दंपत्ति ने जूली के साथ किया।
जूली 17 महीने की हुई तो उमा और दर्शनलाल को चिंता सताने लगी कि कोई उसे नुकसान न पहुंचा दे। उन्होंने लोगों से राय मशविरा किया तो तय हुआ कि जूली को अब उसकी दुनिया में भेज देना ही उचित है। यह फैसला करना दोनों के लिए बहुत कठिन था।शायद उन्हें पता था कि जूली की भलाई अपनी दुनिया में है। दोनों जूली के साथ ही खाना खाते थे और उसके साथ ही सोते थे। उनके लिए जूली को खुद से दूर करना बिल्कुल भी आसान नहीं था।
उमा और दर्शनलाल बद्रीनाथ वन विभाग के रेंज कार्यालय नारायणबगड़ पहुंचे और जूली के लिए सुरक्षित मांगी। वह उसे जंगल में छोड़ने के पक्ष में नहीं थे। बद्रीनाथ वन प्रभाग के डीएफओ आशुतोष सिंह ने बताया कि देहरादून जू यानी मालसी डियर पार्क में जूली को रखने की अनुमति मिल गई है। शनिवार को रेंजर भगवान सिंह परमार व वन दरोगा बलबीर लाल सोनी की देखरेख में देहरादून भेजा गया। इसके गांव में विशेष वाहन लाया गया था। दंपत्ति ने जूली को अपनी बेटी की तरह पाला। उमा और दर्शनलाल की तारीफ हर कोई कर रहा है और वन विभाग से दंपती को पुरस्कृत करने की मांग की। शनिवार को उस क्षण ने सभी को भावुक कर दिया जब उमा ने जूली को गले लगाया और बड़े दुलार से उसे विदा किया।