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राम मंदिर को भव्य रूप देने वाले चंद्रकांत सोमपुरा, जाने कैसा रहा राम मंदिर निर्माण का उनका सफर


Ayodhya Shree Ram Mandir Construction by Chandrakant Sompura:- राम के अयोध्या आगमन और अयोध्या के राम मंदिर में हुई प्राण प्रतिष्ठा का पूरा देश कई वर्षों से इंतजार कर रहा था। वर्षों का यही इंतजार अब पूरा हो चुका है। सालों की मेहनत और इंतजार के बाद अयोध्या में राम मंदिर का काम अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुका है। परंतु इस मंजिल तक पहुंचने का सफर काफी लंबा रहा। इस दौरान एक लंबा इंतजार पालीटाना (अब अहमदाबाद) में रहने वाले चंद्रकांत सोमपुर का भी रहा। ये वही कलाकार है, जिनकी सोच को आज हम अयोध्या राम जन्मभूमि पर बने मंदिर स्वरूप में निहार रहे हैं।

दरअसल, राम मंदिर निर्माण आंदोलन के दौरान VHP अध्यक्ष अशोक सिंघल के अनुरोध पर, चंद्रकांत ने 30-35 साल पहले राम मंदिर का डिजाइन बनाया था। कई वर्षों बाद जब सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर को लेकर अपना फैसला सुनाया, तो चंद्रकांत सोमपुरा के बने इस डिजाइन के लिए भी हामी भरी। आज अयोध्या में बना भगवान श्री राम का भव्य मंदिर इसी कलाकार की कलाकारी का नतीज़ा है।

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30–35 साल पहले तैयार किया गया राम मंदिर का डिजाइन

चंद्रकांत सोमपुरा बताते हैं कि उन्होंने 30-35 साल पहले VHP अध्यक्ष अशोक सिंघल के अनुरोध पर राम मंदिर का डिजाइन तैयार किया था। उस वक्त VHP द्वारा अयोध्या में राम जन्मभूमि पर राम मंदिर बनाने का फैसला किया गया था। इसी तर्ज पर डीडी बिरला ने चंद्रकांत को अशोक सिंघल के साथ, अयोध्या जाने और जगह देखकर मंदिर का डिजाइन तैयार करने को कहा था। अशोक सिंघल ने चंद्रकांत से, मंदिर को लेकर अपने विचार प्रस्तुत किए थे, जिसके बाद उन्होंने यह डिजाइन तैयार किया।

पग-पग में राम मंदिर का किया ध्यान

चंद्रकांत सोमपुरा ने बताया कि जहां राम मंदिर का ढांचा था, वहां सरकार ने उन्हें टेप से माप लेने से इनकार कर दिया था। इसलिए उन्होंने कदम गिनकर माप लिया था। वे आगे बताते हैं कि जब नक्शा आया तो वास्तविक माप उनके कदम से लिए गये माप से कुछ ही फुट आगे-पीछे था। इसके बाद उनके द्वारा बनाए गए दो तीन प्लान में से एक प्लान अशोक सिंघल द्वारा चुना गया, और उस प्लान के अनुसार फिर मंदिर का मॉडल बनाकर तैयार किया गया। यह मॉडल हरिद्वार के कुंभ मेले में साधु संतों को दिखाया गया था। सभी लोगों द्वारा जब ये डिजाइन पसंद कर लिया गया तो इसे अंतिम रूप देने की तैयारी की जाने लगी।

L&T ने निभाई निर्माण कार्य की जिम्मेदारी

जानकारी साझा करते हुए चंद्रकांत ने बताया कि अशोक सिंघल की मौजूदगी के दौरान एलएनटी के निदेशक ने इस मंदिर का काम करने की अपनी इच्छा को जाहिर किया था। एचपी अध्यक्ष अशोक सिंघल ने भी इसके लिए हामी भर दी थी। कमल की बात यह थी कि जब सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया तो राम मंदिर निर्माण का काम भी एल&टी को ही दिया गया। आज एल&टी की पूर्ण टीम उनके निर्देशानुसार प्लान के मुताबिक काम कर रही है।

विष्णु के आठ अवतारों से प्रेरित है अष्टकोणीय गर्भगृह

मंदिर की रचना को समझाते हुए चंद्रकांत सोमपुरा बताते हैं कि, हर सामान्य मंदिर के निर्माण अनुसार इस मंदिर में भी गर्भगृह, सामने गुड मंडप और नृत्य मंडप था। परंतु जब मंदिर को बड़ा बनाने का निर्णय सामने आया, तो उन्होंने मंदिर के सामने एक, और पीछे दो मंडप बढ़ा दिए। इस अनुसार राम मंदिर में कुल मिलाकर पांच मंडप और एक गर्भगृह स्थापित हुआ। चंद्रकांत बताते हैं कि नागर शैली में बने श्री राम मंदिर का गर्भगृह अष्टकोणीय है। यानी कि, जिस प्रकार भगवान विष्णु के आठ अवतार हैं उसी अनुसार इस मंदिर में भी 8 दिशाएं हैं। मंदिर के शीर्ष पर शिखर, मंदिर, गुड मंडप,नृत्य मंडप, रंग मंडप,सभा मंडप और प्रार्थना मंडप भी नागर शैली में ही बने हैं।

शुरुआती दौर में राम मंदिर की कुल लागत 400 करोड रुपए बताई गई थी। परंतु इसके बाद मंदिर का विस्तार किया गया जिस कारण मंदिर में कॉरिडोर, परिसर में धर्मशाला और अन्य केंद्र बनाने का निर्णय लिया गया था।चंद्रकांत कहते हैं कि इस अनुसार मंदिर की कुल लागत लगभग 2000 करोड रुपए से भी अधिक हो सकती है।

मंदिर का भव्य और अद्भुत निर्माण, संपूर्ण रामायण की दिखेगी झलक

बीते 22 जनवरी को ग्राउंड फ्लोर में बने मुख्य मंदिर में भगवान रामलीला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जा चुकी है। गर्भगृह में लगभग सवा 5 फीट की रामलला की मूर्ति स्थापित की गई है। इसके बाद यहां गणपति और हनुमान जी की भी मूर्ति स्थापित की गई। मंदिर के सामने गरुड़ जी की मूर्ति की स्थापना हुई है। चंद्रकांत आगे बताते हैं कि जब मंदिर के ऊपर दूसरी मंजिल पर प्राण प्रतिष्ठा होगी तो वहां राम दरबार की मूर्ति स्थापित की जाएगी, जिसमें भगवान श्री राम, सीता, लक्ष्मण जी और हनुमान जी की मूर्तियां स्थापित होंगी।श्री राम भगवान मूर्ति प्रतिष्ठा के बाद भी मंदिर और कॉरिडोर को पूरा करने में अभी 2 साल और लगेंगे।

मंदिर के निर्माण से जुड़ी खास बातें साझा करते हुए चंद्रकांत ने बताया कि मंदिर का निर्माण बंसी पहाड़पुर के पत्थर से किया गया है। इन स्थान पर सेंडस्टोन के गुलाबी रंग के पत्थर पाए जाते हैं। यह पत्थर मार्बल की अपेक्षा अधिक मजबूती के लिए भी जाने जाते हैं।अयोध्या में बने श्री राम के भव्य मंदिर में विष्णु के 10 अवतार, 64 योगी,52 शक्तिपीठ और सूर्य भगवान के 12 रूप स्थापित है। मंदिर के प्रत्येक स्तंभ में लगभग 16-16 मूर्तियां हैं। मंदिर में ऐसे 250 खंभे मौजूद हैं जिनमें से प्रत्येक में भगवान की एक मूर्ति बनी हुई है।इसके अलावा मंदिर की प्लिंथ 3 फीट ऊंची रखी गई है और मंदिर के घूमते 250 से 300 फीट तक के है। इसमें भगवान के जन्म सहित संपूर्ण रामायण का वर्णन किया गया है जो अगले 2 साल में बनकर तैयार हो जाएगा।

दर्शन को लगी लंबी कतारों का रहेगा ध्यान

श्री राम के भव्य मंदिर में दर्शन के लिए लगी बड़ी कतारों से छुटकारा पाने के लिए विशेष प्लान तैयार किया गया है।चंद्रकांत बताते हैं कि गर्भगृह में विराजमान,भगवान श्री राम के दर्शन के लिए 25 फीट की दूरी में भक्त मंडप तैयार किया गया है। इससे अगर मंदिर में प्रवेश के समय लंबी लाइन भी लगी हो तो दो-तीन घंटे में अलग-अलग लाइनों से भगवान के दर्शन आसानी से हो सकेंगे।

कई पीढ़ियों से मंदिर निर्माण में हैं निपुण, राम मंदिर निर्माण को मानते हैं अपना सौभाग्य

बताते चलें कि चंद्रकांत सोमपुरा का परिवार कई पीढियां से मंदिर का निर्माण करता आ रहा हैं। इस कारण उन्हें मंदिर निर्माण पर नागर शैली से जुड़े शास्त्रों का भी ज्ञात है। वे बताते हैं कि, मंदिर बनाते वक्त यह ज्ञात होना आवश्यक है कि किस देवता के मंदिर में किस तरह की स्थापना होनी चाहिए।

30 साल पहले बने अपने डिजाइन को साक्षात राम जन्मभूमि पर खड़ा देख चंद्रकांत सोमपुरा कहते हैं कि ये हर हिंदू के लिए गर्व की बात है। वह कहते हैं कि सालों से चले आ रहे विवाद के कारण उनकी उम्मीद कुछ डगमगाने लगी थी पर आखिरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने एक छोटे से मंदिर को भव्य रूप प्रदान कर दिया है।

वे आगे बताते हैं कि, उनके दादाजी ने सोमनाथ मंदिर बनवाया था। इसके बाद उन्होंने श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर, अंबाजी और पावागढ़ मंदिर भी बनाएं। श्री राम के भव्य मंदिर को लेकर कहते हैं कि, यह उनके और उनके परिवार के लिए सौभाग्य की बात है कि निर्माण कार्य उन्हें मिला।

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