कपकोट: किसी भी स्तर के चुनाव बिना ज़ुबानी हमने के नहीं लड़े जाते। उत्तराखंड की राजनीति तो वैसे भी हमेशा गरमा गरम रहती है। उत्तराखंड विधानसभा चुनावों का इतिहास भले ही ज्यादा पुराना ना हो लेकिन तमाम बड़े बड़े घटनाक्रमों से भरा हुआ है। राज्य में हमेशा से एक अलग लेवल की बयानबाजी देखी जाती है। इस बार भी ऐसे ही बयानबाजी के कई उदाहरण हमारे सामने आए हैं।
इस बार सीएम धामी और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के बीच हुई जुबानी जंग ने सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। दरअसल हरीश रावत ने बीते रोज कहा था कि धामी जैसे चार बार बूढ़े हो जाएंगे तब भी मैं बूढ़ा नहीं होउंगा। इस बयान को लेकर सियासी हलकों में हमेशा की तरह हलचल तेज हो गई थी। अब ऐसा मुमकिन भी नहीं था कि चुनावों के समर में दूसरी तरफ से कोई पलटवार ना हो।
मौका सीएम धामी को मिला तो वह भी पीछे नहीं हटे। मुख्यमंत्री ने कपकोट के दौरे के दौरान पूर्व सीएम हरीश रावत के बयान पर टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि जब उनकी पार्टी और पार्टी के नेता ही उन्हें गंभीरता से नहीं लेते हैं तो वह क्यों गंभीरता से लें। सीएम बोले कि मैं तो उनकी बात का बुरा भी नहीं मानता हूं। क्योंकि हरीश रावत वानप्रस्थ आश्रम में जीवन यापन कर रहे हैं।
गौरतलब है कि हरीश रावत लालकुआं से कांग्रेस के प्रत्याशी हैं। इस बात को लेकर बीते दिनों से लगातार भाजपा के कई नेताओं ने उन्हें घेरने की कोशिश की है। इसी बात को लेकर धामी ने कहा कि हरीश रावत की हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनकी बात उनकी पार्टी के नेता तक नहीं मानते। उन्हें कभी हरिद्वार कभी रामनगर तो कभी लालकुआं भेज दिया जाता है ।
सीएम धामी ने कहा कि अब उन्हें कांग्रेस ने लालकुआं में उतारा है। जहां पर वह चुनाव हारने के लिए लड़ रहे हैं। अब चुनाव के बाद कांग्रेस हरीश रावत को नाजाने कहां भेजेगी। मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि कांग्रेस में हरीश रावत का कोई महत्व नहीं रह गया है और वह वानप्रस्थ आश्रम में जीवन जी रहे हैं। हो ना हो लेकिन सियासत के गलियारे में अब हरीश रावत के पलटवार का भी हर किसी को इंतजार है।