
हल्द्वानी: प्रदेश में बदलते जनसांख्यिकीय स्वरूप को लेकर सरकार गंभीर दिखाई दे रही है। इसी क्रम में एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक के दौरान अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि उत्तराखंड की संस्कृति, जनसांख्यिकी और मूल स्वरूप को किसी भी परिस्थिति में प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में जनसंख्या संरचना में आए परिवर्तनों और संदिग्ध प्रमाणपत्र जारी होने की कई शिकायतें सामने आई हैं, जिन्हें गंभीरता से लिया जा रहा है।
अधिकारियों के अनुसार प्रदेश के सभी जिलों में व्यापक सत्यापन अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत पिछले दस वर्षों में जारी हुए विभिन्न प्रकार के प्रमाणपत्रों—जैसे निवास, आय, जाति तथा पात्रता से जुड़े दस्तावेजों—की दोबारा जांच की जा रही है। उन्होंने कहा कि जांच के दौरान गलत तरीके से पात्रता लेने या देने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा और ऐसे मामलों में सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
सरकार का कहना है कि यह कदम प्रदेश की सुरक्षा, सामाजिक समरसता और सांस्कृतिक पहचान की रक्षा के लिए आवश्यक है। अधिकारियों ने आम जनता से भी अपील की है कि वे सत्यापन प्रक्रिया में सहयोग करें और किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना स्थानीय प्रशासन को दें।






