देहरादून: प्रदेश की पुष्कर सिंह धामी सरकार लगातार जनहित के कार्य कर रही है। भर्ती परीक्षाओं में गड़बड़ी का मामला सामने आने पर सरकार ने तुरंत कार्रवाई की है। एक ओर जहां दोषियों को गिरफ्तार किया गया वहीं, उनकी संपत्ति तक कुर्क की हैं। इन 22 सालों में सत्ताधीशों के द्वारा एक ठोस कानून ना होने के चलते आरोपितों को जमानत भी मिली लेकिन सरकार ने मामले को ठंडे बस्ते में ना डालकर नकलरोधी सख्त कानून का ड्राफ्ट तैयार किया।
एक दिन पहले ही राज्यपाल ने इस अध्यादेश को मंजूरी भी दे दी है। इसके बावजूद युवाओं को बरगला कर सरकार पर निशाना साधने का प्रयास किया जा रहा है। परीक्षा धांधली की सीबीआई जांच का तर्क औचित्यहीन है और इससे युवाओं को ही नुकसान होने का अंदेशा लगाया जा रहा है।
जानकारों का कहना है कि कुछ स्वार्थी तत्व युवाओं के आंदोलन को हाईजैक करना चाहते है। उनका कहना है कि पुलिस ने पटवारी और लेखपाल परीक्षा के पेपर लीक करने वालों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की। सीएम धामी ने संदेश दिया है कि गुनाहगार चाहे पार्टी का ही क्यों न हो, उसके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई होगी। परीक्षा की जांच को लेकर जब हाईकोर्ट ने एक याचिका निस्तारित करते हुए माना है कि जांच सही दिशा में हो रही है। रोज मामले में नया अपडेट आ रहा है और अधिकतम गिरफ्तारियां हो रही है। तो सीबीआई जांच की ही मांग करना जायज नही है। अब सवाल है कि ऐसे में बेवजह मामले को तूल क्यो दिया जा रहा है। बेरोजगार युवाओं को बरगला कर उनका आंदोलन हड़पने की कोशिश की जा रही है।
’’सीबीआई जांच का असर’’
जानकारों की मानें तो अगर मुख्यमंत्री पेपर लीक कांड की जांच सीबीआई को दे देते है तो जांच प्रक्रिया में लंबा समय लग सकता है। ऐसे में भर्ती परीक्षा प्रक्रिया भी प्रभावित होगी क्योकि सीबीआई जांच नही तो परीक्षा नही जैसे विचार के साथ बेरोजगारों को भ्रमित किया जा रहा है। ऐसा भी माना जा रहा है भर्ती प्रक्रिया लंबे समय तक बाधित रहे। ऐसे में सिर्फ सीबीआई जांच की मांग पर ही अड़े रहना युवाओं के साथ एक छलावा है। जबकि पुलिस ने तुरंत आरोपियों को गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे भेज दिया है। क्या जनता या युवा चाहते हैं कि राज्य में भर्ती प्रक्रिया बाधित हो। जांच पूरी होने तक प्रतियोगी परीक्षाएं आयोजित ना हो इस षडयंत्र का अब खुलासा होने लगा है।
मुख्यमंत्री ने युवाओं से अपील की है कि वह बहकावे में न आए। अब स्पष्ट हो गया है कि नकल माफियाओं का सिंडिकेट पिछले 10 वर्षों से राज्य में सक्रिय रहा। लेकिन किसी भी सरकार ने इतनी गहराई तक जाकर कोई कार्यवाही नहीं की। यहां गौर करने वाली बात है कि धामी सरकार के संज्ञान में आने के बाद सरकार इस सिंडिकेट की जड़ तक जा रही है जिससे कि आने वाली कई पीढ़ियों को इसका लाभ मिल सके। आज के युवाओं को समझना होगा जांच भी जारी रहनी चाहिए और प्रतियोगी परीक्षाएं भी गतिमान रहनी चाहिए।
’’आयोग की भी सुनिए’’
उत्तराखंड लोक सेवा आयोग हरिद्वार स्पष्ट कर चुका है कि उन्होंने नए सिरे से सारे पेपर बना दिए हैं और आगामी परीक्षाओं के लिए सारे नए पेपर बन रहे हैं। व्यवस्थाओं में काफी सुधार भी किया गया है। युवाओं की बात मानते हुए परीक्षा नियंत्रक को भी तत्काल हटा दिया गया है। तो ऐसे में सिर्फ सीबीआई जांच की मांग करना राज्य के युवाओं के साथ धोखा नही है। अभी हाल ही में पटवारी परीक्षा में धांधली की जांच भी सिटिंग जज की निगरानी में करने की मांग भी धामी सरकार ने मान ली है। ऐसे में युवाओं को समझना होगा कि पिछले 10 सालों का सिंडिकेट की कमर टूट चुकी है और यह उत्तराखंड में अपनी अंतिम सांसे गिन रहा है। ऐसे में सीबीआई जांच की ही मांग करना और परीक्षाओं को लंबे समय तक रुकवाये रखना क्या राज्य के युवाओं के हित में होगा?
नकल गिरोह कितना मजबूत है इस बात का अंदाजा आप इसी से लगाइए कि जांच में पता चल रहा है कि नकल माफिया, कोचिंग सेंटर और अब कुछ संगठन के भी नामों का खुलासा हो रहा है। ऐसे में जो साहस युवा मुख्यमंत्री ने युवाओं को लेकर दिखाया है कि इन परीक्षाओं में धांधली की की जांच का उस पर विश्वास आज बहतु जरुरी हो गया है।
’’ धामी के कठोर फैसलों से खतरा’’
उत्तराखंड में सरकार की वापसी कुछ लोगों को पच नही पा रही है। इसके पीछे षड्यंत्र है कि नौकरियों का पिटारा खोलने वाली धामी सरकार युवाओं की लोकप्रिय है। 30 प्रतिशत महिला आरक्षण जैसे मजबूत और ठोस निर्णय लेकर राज्य की भावनाओं के अनुरुप लगातार कार्य किया जा रहा है और अपने प्रदेश के युवाओं का भविष्य सुरक्षित किया जा रहा है। ऐसे में इस आंदोलन को हाईजैक कर माहौल बिगाड़ने का प्रयास हो रहा।