
देहरादून: उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक बार फिर अपने निर्णायक और युवा हितैषी नेतृत्व का उदाहरण पेश किया है। 21 सितंबर को सामने आए यूकेएसएसएससी पेपर लीक प्रकरण पर युवाओं के आक्रोश को गंभीरता से लेते हुए सीएम धामी ने तत्काल कार्रवाई की। उन्होंने न सिर्फ छात्रों की बात सुनी, बल्कि 10 दिन के भीतर ही परीक्षा को रद्द कर पुनः परीक्षा आयोजित करने के निर्देश जारी कर दिए।
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि पुनः आयोजित की जाने वाली परीक्षा में केवल वही अभ्यर्थी शामिल होंगे, जिन्होंने पहले यह परीक्षा दी थी। इसके साथ ही, उनकी परीक्षा शुल्क का संपूर्ण वहन राज्य सरकार करेगी। मुख्यमंत्री ने यह भी सुनिश्चित किया है कि इस परीक्षा का कार्यक्रम अन्य भर्ती परीक्षाओं को प्रभावित नहीं करेगा।
यह निर्णय एक बार फिर साबित करता है कि सीएम धामी युवाओं की भावनाओं और उनके भविष्य के प्रति संवेदनशील हैं। पेपर लीक के बाद जब प्रदेशभर में छात्र प्रदर्शन कर रहे थे, तब मुख्यमंत्री खुद परेड ग्राउंड के धरना स्थल पर पहुंचकर प्रदर्शनकारी युवाओं से संवाद किया था — राज्य के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ जब कोई मुख्यमंत्री धरना स्थल पर जाकर छात्रों से सीधे वार्ता करने पहुंचा हो।
मुख्यमंत्री धामी ने युवाओं को भरोसा दिलाया था कि जांच पूरी पारदर्शिता के साथ होगी। इसी दिशा में सरकार ने तत्काल एसआईटी का गठन किया और जांच आयोग बनाया। आयोग की रिपोर्ट के आधार पर परीक्षा को रद्द करने का निर्णय लिया गया।
सीएम धामी ने कहा कि “उत्तराखंड में छात्रों और युवाओं के हित सर्वोच्च प्राथमिकता हैं। राज्य सरकार किसी भी कीमत पर परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और विश्वसनीयता से समझौता नहीं करेगी। हर छात्र को निष्पक्ष अवसर और भरोसेमंद भर्ती प्रक्रिया देना हमारी प्रतिबद्धता है।”
पिछले चार वर्षों में 25,000 से अधिक युवाओं को सरकारी नौकरियों में नियुक्ति दिलाना और नई भर्तियों के द्वार खोलना इस बात का प्रमाण है कि धामी सरकार वास्तव में युवा केंद्रित है।
सीएम धामी का यह निर्णय न केवल युवाओं के विश्वास को पुनः स्थापित करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि उत्तराखंड में नेतृत्व केवल आदेश देने वाला नहीं, बल्कि युवाओं की आकांक्षाओं और भविष्य की जिम्मेदारी समझने वाला भी है।






