देहरादून: वसीम जाफर के हेड कोच के पद से इस्तीफे देने के बाद उत्तराखंड क्रिकेट में भौचाल आ गया। उन्होंने क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड पर आरोप लगाए तो सीएयू ने भी जाफर को धर्म आधारित चयन को बढ़ावा देने का आरोप लगाया था लेकिन बाद में उन्होंने इन आरोपों से इनकार कर दिया। वहीं भारत के कई पूर्व खिलाड़ियों ने जाफर का समर्थन किया। इस लिस्ट में सबसे पहले नाम अनिल कुंबले का था।
इसके बाद क्रिकेटर मनोज तिवारी ने ट्वीट कर कहा, ‘मैं उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से अनुरोध करूंगा कि वे इस मुद्दे पर तुरंत ध्यान दें, जिसमें हमारे नेशनल हीरो वसीम भाई को क्रिकेट संघ में साम्प्रदायिक करार दिया गया था। इस पर आवश्यक कार्रवाई करें। एक उदाहरण सेट करने का समय आ गया है। वसीम जाफर को इरफान पठान का भी समर्थन मिला।
इस मामले में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जांच के आदेश दिए हैं। कुछ दिन पहले सीएम और क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखंड के बीच मुलाकात हुई थी। अब इस मामले में सीएम ने जांच के आदेश दे दिए हैं। मुख्यमंत्री के मीडिया समन्वयक दर्शन सिंह रावत ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि जांच रिपोर्ट के सामने आने के बाद सीएम एक्शन लेंगे।
बता दें कि पहले कोच पद से इस्तीफा देने वाले वसीम जाफर पर लगातार आरोप लगाए जा रहे हैं। टीम चयन में दखल, धर्म आधारित चयन और ड्रेसिंग रूम में मौलवी में को बुलाने की बात सामने आई तो जाफर ने बुधवार (बीते) को ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था, ‘जो कम्युनल एंगल लगाया, वह बहुत दुखद है। उन्होंने आरोप लगाया कि मैं इकबाल अब्दुल्ला का समर्थन करता हूं और उसे कप्तान बनाना चाहता था जो सरासर गलत है।’
इसके बाद सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में उत्तराखंड की कप्तानी करने वाले इकबाल अब्दुल्ला ने कहा कि मौलवी बुलाने की इजाजत टीम मैनेजर ने दी थी। उस वक्त बायो बबल नियम लागू नहीं था, अगर ऐसा होता तो वह अनुमति हीं नही लेते। उन्होंने वसीम जाफर का बचाव किया था। इसके बाद सीएयू ने भी सभी आरोपों से इनकार किया था।
इस मामले में कांग्रेस के राहुल गांधी ने 13 फरवरी को एक ट्वीट कर लिखा था, पिछले कुछ वर्षों में नफरत इतनी ज्यादा बढ़ी है कि उसने हमारे प्यारे खेल क्रिकेट को भी अपनी आगोश में ले लिया है। भारत हम सभी का है, इस एकता को बांटने की कोशिश नहीं की जानी चाहिए।