उदयपुर राजस्थान विधानसभा चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने चुनाव जीतकर यह साबित कर लिया है कि सत्ता में उसकी पकड़ बाकी पार्टियों से कितनी मजबूत है । राजस्थान की दोनों विधानसभा उपचुनाव में कांग्रेस को जीत मिली है। धरियावद में जहां कांग्रेस के नगराज मीणा विजयी रहे थे। वहीं वल्लभनगर विधानसभा के लिए उपचुनाव में कांग्रेस की प्रीति गजेंद्र शक्तावत 20 हजार 400 वोटों से विजय प्राप्त हुई है । प्रीति शक्तावत पहली महिला एमएलए हैं जिन्होंने इतने वोटो से जीत हासिल की है। प्रीति गजेंद्र शक्तावत को 65 हजार 368 मिले जबकि उनके नजदीकी विपक्षी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (रालोपा) के उम्मीदवार उदयलाल डांगी को 44 हजार 978 मत मिले। वहीं , भाजपा उम्मीदवार हिम्मत सिंह झाला अपनी जमानत तक नहीं बचा पाए।
इस बार भी भाजपा की रणनीति में कमी देखने को मिली तो वही आपसी लड़ाई के चलते भी पार्टी को नुकसान पहुंचा है। बताया जा रहा है कि उदयलाल राजस्थान से भाजपा के सबसे दमदार प्रत्याशी माने जाते है,अगर चुनाव के लिए विपक्षी के रूप में उन्हें खड़ा किया जाता तो शायद बात कुछ और होती। वहीं कहीं ना कहीं पार्टी के भीतर की चल रही खीचातान की वजह से एन वक्त पर उन्हें टिकट नही मिला । डांगी को टिकट दिए जाने की बजाय भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी ने चित्तौड़गढ़ सांसद के करीबी हिम्मत सिंह झाला को टिकट दिया। इस बात को लेकर राजस्थान विधानसभा के नेता गुलाब चंद कटारिया तथा उदयपुर सांसद अर्जुनलाल मीणा भी झटके में थे।
यहां तक की गुलाब चंद कटारिया की नाराजगी का वीडियो सोशल मीडिया तक में वायरल हुआ था। जिसके बाद उदयलाल डांगी ने भाजपा को छोड़ राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का दामन थाम लिया जिसका अंजाम भाजपा को इस चुनाव में बहुत भारी पड़ा। भाजपा को अलविदा कहने के बाद भीण्डर के राजपरिवार के सदस्य रणधीर सिंह भीण्डर ने जनता सेना का गठन किया था। पहले चुनाव में उन्होंने कांग्रेस के तत्कालीन उम्मीदवार गजेंद्र सिंह शक्तावत को हरा कर सभी को चौका दिया। जनता सेना के गठन के बाद यहां भाजपा उम्मीदवार की जमानत तक जब्त हो गई।
पिछले चुनाव में जनता सेना छोड़कर कटारिया का दामन थामने वाले उदयलाल ने भाजपा को यहां मजबूती दी थी । लेकिन वह तीसरे स्थान पर रहे। इस बार यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस और जनता सेना के बीच माना जा रहा था लेकिन उदयलाल डांगी को भाजपा से टिकट नहीं मिलने के कारण उन्होंने पार्टी को बागी तेवर दिखाए और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी का दामन थाम लिया । जिसके बाद यहां के डांगी और पटेल समाज उनके साथ हो गए और इसी के चलते जनता सेना पिछड़ गई। इससे जनता सेना का स्थान तीसरें नंबर पर हैं । हालांकि जनता सेना प्रत्याशी अपनी जमानत बचाने में सफल रहे।