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उत्तराखंड: कोरोना के बीच पुलिस को बड़ी कामयाबी, डेढ़ करोड की नकली दवा पकड़ी


रुड़की के माधोपुर की फैक्टरी में नकली दवा बनाने के मामले में पुलिस ने मालिक समेत दो आरोपियों को गिरफ्तार। पुलिस और ड्रग विभाग की टीम ने साढ़े चार लाख की नकदी और डेढ़ करोड़ की नकली दवा बरामद की हैं। इसके अलावा नकली दवा बनाने वाली मशीन, पैकिंग मशीन और नामी कंपनियों के रैपर भी बरामद किए हैं।

सिविल लाइंस कोतवाली में रविवार को प्रेसवार्ता कर एसपी देहात एसके सिंह ने नकली दवा फैक्टरी का खुलासा किया। इसमें देश की नामी कंपनियों के नाम से नकली दवाएं बनाई जा रही हैं।

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शनिवार रात पुलिस ने ड्रग विभाग की टीम को साथ लेकर फैक्टरी में छापा मारा। टीम को मौके से एक नामी कंपनी के डिब्बे भी मिले हैं। बताया जा रहा है कि यह दवा काफी महंगी है। इसके एक डिब्बे की कीमत बाजार में पांच हजार रुपये है। ऐसी ही कई और महंगी दवाएं बनाकर बेची जा रही थीं।

इस दौरान फैक्टरी में प्रवीण त्यागी और कपिल त्यागी निवासी ग्राम इकड़ी, थाना सरधना जिला मेरठ मौजूद थे। एसपी देहात ने बताया कि फैक्टरी का मालिक प्रवीण त्यागी है। लाइसेंस मांगने पर वह नहीं दिखा पाया। लिहाजा पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर फैक्टरी को सील कर दिया।

200 नामी कंपनियों की दवाएं

फैक्टरी में बड़ी मात्रा में देश की कई नामी और बड़ी कंपनियों की दवाएं मिलीं। इस दौरान करीब डेढ़ करोड़ की कीमत की 200 पेटी नकली दवाएं बरामद हुईं। इसके अलावा साढ़े चार लाख की नगदी, दवा बनाने वाली और पैकिंग मशीन, नामी कंपनियों के रैपर व बॉक्स बरामद हुए।

बरामद हुई दवाएं

एसपी देहात ने बताया कि फैक्टरी में एंटी बायोटिक, वायरल-फीवर, थ्रोट इंफेक्शन, किडनी इंफेक्शन, ब्लॅड प्रेशर, सर्दी, जुकाम, घावों को सुखाने समेत अन्य नकली दवाएं बन रही थीं। 

सप्लाई

नकली दवाएं ज्यादातर वेस्ट यूपी में सप्लाई की गयी थी इसके अलावा उत्तराखंड, यूपी, पंजाब, हरियाणा, बंगलूरू समेत अन्य प्रदेशों में नकली दवाओं की सप्लाई की जाती थी। 

काला कारोबार की कहानी

पुलिस जांच में पता चला कि वह  दस साल पहले प्रवीण त्यागी एक फार्मा कंपनी में काम करता था। यहां उसने दवा बनाने और कच्चा मैटेरियल की पूरी जानकारी जुटाई। इसके बाद नौकरी छोड़कर उसने खुद की फार्मा कंपनी खड़ी कर दी। इसकी आड़ में वह नकली दवाएं बनाने लगा। वह यह काम पिछले पांच-छह साल से कर रहा था।

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