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रोहित शर्मा की हर पारी कर रही है धोनी के इस फैसले का अभिनन्दन


नई दिल्ली: पंकज पांडे: साल 2007 में भारतीय टीम रोहित शर्मा नाम के युवा खिलाड़ी ने भारत के लिए खेलना शुरू किया। टीम आयरलैंड के दौरे पर थी। उम्र होगी 20 साल। इस खिलाड़ी को पहले दिन से टीम इंडिया का भविष्य कहा जाने लगा था। ये उस वक्त की बात है जब टीम में सौरभ गांगुली, सचिन तेंदुलकर, वीरेंद्र सहवाग, राहुल द्रविड और युवराज सिंह जौसे खिलाड़ी मौजूद थे।

युवा रोहित शर्मा

रोहित को पहली बार बल्लेबाजी का मौका साउथ अफ्रीका के खिलाफ मिला, पहले मैच में उनका स्कोर था 8 रन । इसके बाद रोहित को देश ने टी-20 विश्वकप में देखा। साउथ अफ्रीका के खिलाफ अहम मुकाबले में उन्होंने शानदार 50 रनों की पारी खेली। साउथ अफ्रीका का पेस अटैक उस वक्त आग उगला करता था लेकिन 20 साल के रोहित ने जो किया, पूरा क्रिकेट जगत दिवाना बन गया। फाइनल में रोहित की छोटी पारी काफी अहम रही और इंडिया पहला वर्ल्ड टी-20 अपने नाम करने में कामयाब रहा। मैं उस वक्त 7वीं कक्षा में पढ़ता था। रोहित की वनडे में पहली फिफ्टी पाकिस्तान के खिलाफ आई। पाकिस्तान 2007 में भारत के दौरे पर थी, जो सीरीज टीम इंडिया ने 3-2 से अपने नाम की थी।

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ये बल्लेबाज भारत का भविष्य है

इसके बाद रोहित ऑस्ट्रेलिया गए और भारतीय टीम ने ट्राई सीरीज में जीत हासिल की। उस दौरे में भी रोहित ने शानदार बल्लेबाजी की।  मेलबर्न वनडे में टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया को 159 रनों पर ऑल आउट कर दिया था। इंशात शर्मा ने 4 विकेट हासिल किए थे। 3 विकेट श्रीशंत ने भी लिए थे लेकिन शर्मा जी की गेंद दो कर रही थी वो शायद ही किसी भारतीय ने ऑस्ट्रेलिया में किया था। लक्ष्य छोटा था लेकिन भारत की बल्लेबाजी फ्लॉप हो गई थी। रोहित ने धोनी के साथ मिलकर टीम को जीत दिलाई, उन्होंने 39 रन बनाए लेकिन जो धैर्य रोहित ने दिखाया था उसकी चर्चा खूब हुई। इसके बाद पहले फाइनल में रोहित ने सचिन के साथ मिलकर टीम को जीत दिलाई  सिडनी में सचिन ने 110 रनों की नाबाद पारी खेली थी। रोहित ने 66 रन बनाए थे और खुद को एक बार फिर साबित किया। फैंस को लगा कि ये खिलाड़ी मध्यक्रम में टीम को मजबूती देखा लेकिन ये इतना आसान नहीं था।

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जहां तक मुझे याद इस सीरीज के बाद रोहित टीम से अंदर बाहर होते रहे। 2008  पाकिस्तान, बांग्लादेश और भारत की ट्राई सीरीज में रोहित ने पहले मैच में पाकिस्तान के सलमान बट का कवर्स में शानदार कैच पकड़ा था। अंदर बाहर होने के चलते रोहित का खराब फॉर्म अच्छी पारियों पर भारी पड़ी। साल 2009 में सहवाग के चोटिल होने के बाद वर्ल्ड टी-20 में रोहित ने सलामी बल्लेबाजी की थी। प्रदर्शन मिला जुला रहा था।

अंधेरे में रोहित का करियर

साल 2010 में टीम इंडिया जिंबावे दौरे में गई थी, वहां रोहित ने 2 शतक जमाए थे। टीम की कप्तानी सुरेश रैना कर रहे थे। भारतीय टीम ट्राई सीरीज के फाइनल में भी नहीं पहुंची। दो मैच जिम्बावे ने हराए थे। साल 2011 में रोहित को विश्वकप टीम में जगह नहीं मिली थी। इसके बाद रोहित का खराब फॉर्म उनकी पहचान को धूमिल कर रहा था। 2011 के अंत में टीम ऑस्ट्रेलिया दौरे पर थी और ट्रॉई सीरीज़ में धोनी ने साफ कर दिया था रोहित की जगह के लिए सचिन, सहवाग और गंभीर में से एक को बाहर बैठना होगा और हुआ भी ऐसा ही लेकिन रोहित का बल्ला शोर करने में नाकाम रहा।  साल 2012 में श्रीलंका दौरे में रोहित के खराब प्रदर्शन ने उनके करियर पर सवाल खड़े कर दिए थे, लेकिन महेंद्र सिंह धोनी के भरोसे के चलते वो टीम में बने रहे।

सलामी बल्लेबाज बने रोहित और फिर रचा इतिहास

साल 2013 में इंग्लैंड वनडे सीरीज के लिए भारत आई थी। मोहाली में धोनी ने रोहित को सलामी बल्लेबाजी के लिए उतारा और उन्होंने कमाल कर दिया। उन्होंने इस मैच में 83 रनों की पारी खेली। उस वक्त सहवाग की फॉर्म भी खराब थी। इस मैच के बाद ना सहवाग को टीम में जगह मिली ना रोहित ने पीछे मुड़कर देखा। चैंपियन ट्रॉफी 2013 में टीम पूरी नई थी। ना सहवाग , ना गंभीर और ना ही युवराज। प्रतियोगिता से पहले आईपीएल में फिक्सिंग का नाम सामने आया था। भारत पहली बार चैंपियंस ट्रॉफी जीतने में कामयाब रहा। रोहित और शिखर के रूप में टीम इंडिया को नई सलामी जोड़ी मिल गई। रोहित के बल्ले से दो फिफ्टी निकली और धवन ने दो सैकड़े लगाए।

इस टूर्नामेंट के बाद से रोहित का करियर पूरी तरह से बदल गया। इसी साल ऑस्ट्रेलिया वनडे सीरीज़ के लिए भारत आई थी। एक बार फिर रोहित और शिखर के बल्लेबाजी के बूते टीम ने 3-2 से सीरीज़ अपने नाम की। रोहित ने इस सीरीज में दो शतक जमाए, जिसमें एक दोहरा शतक भी शामिल था। अगले शतक के लिए रोहित को एक साल का इंतजार करना पड़ा था। चोट के बाद वो टीम में लौटे और इतिहास रचते हुए 264 रनों से की महान पारी खेल दी। रोहित ने अपनी पहचान बड़ा स्कोर बनाने वाले खिलाड़ी के रूप में बना दी है।  रोहित के खाते में 3 दोहरे शतक हैं। अपने करियर के 24 शतकों में 7 बार वो 150 से ज्यादा रन बना चुके हैं। इंग्लैंड में चल रहे विश्वकप की तीन पारियों में दो शतक और एक फिफ्टी उनके नाम हैं। रोहित का बल्ला विश्वकप में भारत की दावेदारी को और मजबूत कर रहा है।

 

धोनी ने टीम इंडिया को काफी कुछ दिया है…

महेंद्र सिंह धोनी ने टीम इंडिया को केवल ट्रॉफियां ही नहीं दी, उनके रोहित शर्मा को सलामी बल्लेबाज बनाकर भारतीय टीम को एक दिशा दिखाने वाला बल्लेबाज दिया। सलामी बल्लेबाजी का मतलब पहली बॉल से मारना नहीं बल्कि टीम के लिए अंत तक रुके रहना है, ये मैंने नहीं रोहित ने वनडे क्रिकेट को बताया है। उनकी सोच के पीछे धोनी का भरोसा था, जिन्होंने धैर्य रखते हुए उन्हें टीम में जगह दी। रोहित जैसा बल्लेबाज कई दशकों तक क्रिकेट को शायद ही मिले। धोनी के नजरों में उन्होंने अपने क्रिकेट को सिंचा है और उनकी हर पारी धोनी के फैसले का अभिनन्दन कर रही है।

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