Uttar Pradesh

दिहाड़ी मजदूर पिता के दोनों बच्चे बने दरोगा, बोले दोनों पर है गर्व


Motivational Success Story:

आसान नहीं होता रोज दिहाड़ी की मजदूरी कर के अपनी ज़रूरतों से किनारा कर के अपने बच्चों के लिए उत्तम भविष्य का सपना देखना। अगर रोज दिहाड़ी कर पैसा कमाने वाले पिता की आँखों का यही सपना बच्चों को भी दिखने लगे तो उन बच्चों की उपलब्धि केवल सफलता नहीं बल्कि प्रेरणा बन जाती है। ऐसी ही एक अद्भुत सफलता की कहानी उत्तरप्रदेश के आगरा से सामने आई है। आगरा के अर्जुन नगर, बारह खंभा निवासी बलवीर सिंह के दोनों बच्चों ने उत्तरप्रदेश पुलिस में उप निरीक्षक का पद हासिल कर लिया है।

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बलवीर सिंह ने बताया कि उन्होंने स्वयं कभी स्कूल-कॉलेज में पढ़ाई नहीं की है इसलिए वह शिक्षा का महत्त्व जानते हैं। अपने दोनों बच्चों की सफलता के बाद अपने जीवन का कठिन समय याद करते हुए बलवीर सिंह बताते हैं कि वो रोज मात्र ₹200 की मजदूरी करते थे। अपने बच्चों की पढ़ाई में किसी भी मूल-भूत आवश्यकता की कमी उन्हें स्वीकार नहीं थी इसलिए वे खुद त्योहारों और पर्वों पर अपने ऊपर कोई खर्चा नहीं करते थे। सीमित संसाधनों से सफलता तक हर कोई नहीं पहुँचता सकता। वो इसलिए क्योंकि प्रेरणा कई बार आपकी एकाग्रता को भटकाती है लेकिन अपने पिता के अनुशासन और समर्पण को बचपन से देखने वाले शिशांक कमलेश और सिमरन कमलेश ने उत्तरप्रदेश पुलिस में उप निरीक्षक का पद प्राप्त कर ही लिया।

पत्रकार वार्ता में शिशांक बताते हैं कि उनके पिता ने टोरेंट पावर में संविदा पर लाइन खोदने व तार जोड़ने का काम किया। अपनी मेहनत से उन्होंने शिशांक को 10वीं और 12वीं की शिक्षा शाहगंज स्थित राजकीय इंटर कालेज से पूरी करवाई। इंटरमीडिएट के बाद आरबीएस बिचपुरी से इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग से शिशांक ने बीटेक किया। कुछ समय नौकरी करने के बाद उन्होंने पुलिस भर्ती के लिए तैयारी की और उप निरीक्षक के लिए उनका चयन हो गया। वहीं सिमरन ने शाहगंज स्थित तुुलसीदेवी कन्या इंटर कालेज से 10वी और 12वीं की पढ़ाई पूरी की। सिमरन ने फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथ में बीएससी आगरा कालेज से और एमएससी एसएस कालेज मलपुरा से की। पिता के कहने पर उन्होंने भी उत्तरप्रदेश पुलिस भर्ती का फॉर्म भरा और अपने भाई की तरह उनका भी चयन उप-निरीक्षक पद के लिए हो गया।

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