देहरादून: ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के दौरान फर्जीवाड़े को रोकने कि दिशा में अहम कदम उठाए जा रहे हैं। राजधानी देहरादून में ब ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए मोबाइल के जरिए परीक्षा देनी होगी। मारुति और माइक्रोसॉफ्ट मिलकर मोबाइल में टेस्ट देने के लिए साफ्टवेयर तैयार कर रहे हैं। इस सॉफ्टवेयर की टेस्टिंग अगले महीने से झाझरा स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ ड्राइविंग ट्रेनिंग एंड रिसर्च (आईडीटीआर) में किया जाएगा। ट्रायल के सफल होने के बाद परिवहन विभाग सॉफ्टवेयर के जरिये लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया को शुरू करेगा। परिवहन विभाग के अनुसार इस तरह की स्मार्ट तकनीक अपनाने वाला उत्तराखण्ड पहला राज्य होगा।
अधिकारियों ने सॉफ्टवेयर के बारे में जानकारी दी कि मोबाइल में साफ्टवेयर अपलोड करने के बाद उसे वाहन के फ्रंट मिरर पर लगा दिया जाएगा। लाइसेंस का आवेदक जब वाहन चलाएगा तो सॉफ्टवेयर गतिविधि के हिसाब से उन्हें अंक देगा। और इस रिपोर्ट के आधार पर ही ड्राइविंग लाइसेंस बनेगा। मोबाइल में फीड किए गए साफ्टवेयर आवेदक की ड्राइविंग की पूरी जानकारी देगा। इसका बड़ा फायदा यह होगा कि इसके जरिये वास्तविक ड्राइवर का ही लाइसेंस बनेगा, जिससे दुर्घटनाओं में भी कमी आएगी। मौजूदा हालात की बात करें तो ड्राइविंग टेस्ट लेने के लिए चालक से वाहन चलवा कर वहां मौजूद अधिकारी तय करता है कि आवेदक को वाहन चलाना आता है या नहीं। ड्राइविंग टेस्ट में इन बिंदुओं में गौर किया जाता है। जैसे कार पार्किंग करना, चढ़ाई पर कार रोक कर वापस चलाना, रेड लाइन पर जेब्रा क्रासिंग के रुकना और मार्ग पर लगे विभिन्न बोर्ड के हिसाब से वाहन चलाना आदि शामिल है। मोबाइल के टेस्ट में आवेदक असंतुष्ट होने पर अपान वीडियो देख सकता है। इस व्यवस्था के लागू होने से ड्राइविंग लाइसेंस बनाने के दौरान होने वाले फर्जीवड़े पर भी लगाम कसा जा सकेगा।
इस बारे में उप निदेशक आईडीटीआर आशीष शुक्ला ने कहा कि सॉफ्टवेयर पर काम अंतिम चरण पर है। इसके तैयार होने के बाद ट्रायल शुरू कर दिया जाएगा।देहरादून देश का पहला ऐसा शहर होगा, जहां इस तरह के हाईटेक सॉफ्टवेयर के जरिये ड्राइविंग टेस्टिंग होगी। वहीं सहायक अपर आयुक्त, परिवहन एसके सिंह ने कहा कि वीडियो सॉफ्टवेयर के आने के बाद आवेदक जान पाएगा कि उससे कहा गलती हुई है। ड्राइविंग लाइसेंस बनाने की प्रक्रिया और भी बेहतर बनेगी।