देहरादून: पर्वतजन न्यूज पोर्टल के संपादक पत्रकार शिव प्रसाद सेमवाल की गिरफ्तारी के खिलाफ पूरे राज्य में आवाज उठनी शुरू हो गई है। शिव प्रसाद सेमवाल वेब मीडिया पत्रकार यूनियन के अध्यक्ष भी है। उन पर रंगदारी का आरोप लगा है जिसका विरोध सैकड़ो पत्रकार कर रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी इस गिरफ्तारी की निंदा की है और राज्य सरकार को आड़े हाथ लिया है। उन्होंने कहा कि जो सरकार के अनुसार नहीं चलता है उसके खिलाफ सरकार इस तरह का एक्शन लेती है। पर्वतजन न्यूज पोर्टल के माध्यम से पत्रकार शिव प्रसाद सेमवाल ने सैकड़ो पर सरकारी तंत्र में चल रही गड़बड़ी को सामने लाए हैं। पत्रकारों का कहना है कि अगर सेमवाल पर केस दर्ज महीने पहले हो गया था तो पुलिस ने उस वक्त कार्रवाईऊ क्यों नहीं कि….
सोमवार को उत्तराखण्ड पत्रकार संयुक्त संघर्ष समिति के तत्वाधान में आयोजित एक आपात बैठक में मंगलवार को सांकेतिक धरना देने का निर्णय लिया गया। बैठक में मौजूद लगभग डेढ़ दर्जन पत्रकार/ मीडिया संगठनों की मौजूदगी में जुझारू पत्रकार शिव प्रसाद सेमवाल की गिरफ्तारी को अघोषित आपातकाल की संज्ञा दी गई। यह निर्णय लिया गया मंगलवार को प्रातः 11 बजे से 1 बजे तक दो घण्टे का सांकेतिक धरना राजपुर रोड स्थित गाँधी पार्क पर दिया जाएगा।
बैठक में मौजूद 50 से अधिक पत्रकारों ने एक सुर में मीडिया व पत्रकारों के साथ निरन्तर हो रहे उत्पीड़न पर चिंता जताई। वक्ताओं ने एक सुर में चार दिन पूर्व पत्रकार शिव प्रशाद सेमवाल के विरुद्ध पुलिस के अनुचित, अव्यवहारिक, अमानवीय, एकपक्षीय क्रूरतम कार्यवाही के अन्तर्गत उत्पीड़न किये जाने को दुर्भावना से प्रेरित बताया। वक्ताओं ने इस कार्यवाही को निराधार व तथ्यहीन झूठी FIR पर की गई कार्यवाही बताते हुए गिरफ्तारी व गिरफ्तारी के तरीके पर अपनी नाराजगी जताई। वक्ताओं ने कहा कि एक शातिर अपराधी की भांति अपनाए जाने वाले व्यवहार के साथ-साथ कुछ का कुछ दर्शा कर की गई पुलिस की यह कार्यवाही आपत्तिजनक व अपमानजनक है।
वक्ताओं ने कहा कि ऐसा लगता है कि सबंधित पुलिस अधिकारी किसी दुर्भावना से ग्रसित होकर अप्रत्यक्ष रूप से प्रतिशोधात्मक रुख अपनाए हुए थे और पुलिस किसी के इशारों पर दमनात्मक व उत्पीड़क कार्यवाही हेतु मन बना चुकी थी। बैठक में वक्ताओं ने उत्तराखण्ड सरकार व मुख्यमंत्री की और से एक वरिष्ठ व निर्भीक पत्रकार के साथ सकारात्मक भूमिका का (Sua Moto) स्व संज्ञान न लिए जाने, उदासीन रवैये अपनाये जाने व मूकदर्शक बनकर एक तमाशबीन की तरह के व्यवहार की भी एक स्वर में निंदा की ।
बैठक में तय किया गया कि चूँकि पर्वतजन के सम्पादक सेमवाल इस तथाकथित झूठे व निराधार प्रकरण पर पुलिस के आला एवं वरिष्ठ अधिकारियों से निष्पक्ष जाँच व कार्यवाही हेतु अपने साथियों सहित कई बार हर स्तर पर संपर्क कर चुके थे किन्तु पुलिस अधिकारियों का रवैया सकारात्मक व संतोषजनक नहीं रहां बैठक में प्रदेश की राज्यपाल को शासन व प्रशासन के माध्यम से ज्ञापन भेजने का निर्णय लिया गया। इस प्रकरण को जन सामान्य तक ले जाने पर भी जोर दिया गया। कहा कि साफ दिख रहा है कि प्रजातन्त्र का चौथा स्तम्भ कहलाने बाले मीडिया व पत्रकारिता के साथ इस राज्य में कैसा व्यवहार किया जा रहा है। वक्ताओं ने कहा कि पत्रकारिता के माध्यम से सरकार व सत्ताधीशों और आला अफसरों के असल चेहरे को निर्भीकता से उजागर करने का परिणाम क्या होता है और कैसे कैसे हथकण्डे अपनाये जाते हैं यह उत्तराखण्ड के जुझारू पत्रकार शिव प्रसाद सेमवाल की गिरफ्तारी से साफ हो गया है।